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कुपोषण उपचार केंद्र को नहीं मिल रहे बच्चे

रानीश्वर : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रानीश्वर में भी कुपोषण उपचार केंद्र खोला है. यहां एक साथ दस बच्चों तथा उनके साथ उनके मां की रहने के लिए बेड उपलब्ध है. पर फिलहाल केंद्र में एक भी बच्चा भर्ती नहीं है. केंद्र प्रभारी एएनएम सुशांति ने बताया कि यहां अप्रैल महीने में दो कुपोषित बच्चे भर्ती […]

रानीश्वर : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रानीश्वर में भी कुपोषण उपचार केंद्र खोला है. यहां एक साथ दस बच्चों तथा उनके साथ उनके मां की रहने के लिए बेड उपलब्ध है. पर फिलहाल केंद्र में एक भी बच्चा भर्ती नहीं है. केंद्र प्रभारी एएनएम सुशांति ने बताया कि यहां अप्रैल महीने में दो कुपोषित बच्चे भर्ती थे. जो एक सप्ताह पहले छुट्टी होने पर घर चले गये.

जनवरी से अप्रैल महीने तक केंद्र पर कुल 24 बच्चे भर्ती थे. जनवरी में सात, फरवरी में 10, मार्च में पांच व अप्रैल में दो कुपोषित बच्चे केंद्र तक पहुंचे. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रीतम कुमार दत्त ने बताया कि कुपोषण केंद्र के लिए सरकार की ओर से एक एएनएम व एक कुक पदस्थापित किया गया है. सीएचसी से दो एएनएम को प्रतिनियुक्त किया गया है. माताओं के लिए केंद्र पर खाने की व्यवस्था नहीं है. उन्हें बाहर से खाना मंगाना पड़ता है.

डाॅ दत्त ने बताया कि जिन बच्चों को कुपोषित के रूप में चिह्नित किया जाता है. उन्हें केंद्र पर 15 दिनों तक रखकर उन्हें पौष्टिक भोजन देकर स्वस्थ होने पर वापस घर भेजने का प्रावधान है. पर बच्चों की मां कुपोषण उपचार केंद्र में बच्चों को छोड़ घर पर नहीं चाहती है. सहिया साथी मेरी सोरेन ने बताया कि गांव से बहुत मुश्किल से कुपोषित बच्चों को केंद्र पर लाया जाता है. दो चार दिन रहने के बाद उनकी मां वापस लौट जाती है. डॉ दत्त ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में लोग अपने घर पर मवेशी पालते हैं. उसे छोड़ कर यहां नहीं रहना चाहते हैं. दूसरी वजह बच्चों के साथ माताओं को केंद्र पर सरकारी स्तर से भोजन देने का प्रावधान नहीं होना भी है. माताओं को प्रतिदिन 100 रुपये की दर से नकद भुगतान किया जाता है, पर उन्हें बाहर से भोजन लाना पड़ता है. इस कारण यहां नहीं रहना चाहती है.

कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा दुमका का एमटीसी
दुमका नगर. दुमका में कुपोषण उपचार केंद्र उन बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है, जो विभिन्न स्वास्थ्य मानकों के अनुरुप कुपोषित हैं. जिनका अपेक्षित शारीरिक विकास नहीं हुआ है. 15 बेड वाले केंद्र के सभी बेड पर बच्चे भर्ती हैं. नियमित इलाज होने के साथ-साथ अनुश्रवण भी होता रहता है. इलाज के बाद भी उनका फॉलोअप किया जाता है. केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी से अब तक 75 बच्चों का इलाज हो चुका है. केंद्र में एक चिकित्सक के अलावा आठ नर्स यहां प्रतिनियुक्त हैं. यूनिसेफ के गाइडलाइन के अनुरूप बच्चे को आहार तो पोषण एक्सपर्ट की देखरेख में दिया ही जाता है.
बच्चे की मां को भी प्रतिदिन के 100 रुपये दिये जाते हैं. सदर अस्पताल के बगल में रीजनल डायग्नोस्टिक सेंटर में संचालित केंद्र के प्रभारी डॉ दिलीप भगत के मुताबिक बच्चों के मनोरंजन के लिए खिलौने लगाये गये हैं. शुद्ध पेयजल की उपलब्धता के लिए आरओ भी लगाया गया है. डॉ भगत के मुताबिक बच्चे की मां की नियमित काउंसेलिंग भी की जाती है और बच्चे की देखभाल, उनके आहार, साफ-सफाई आदि के लिए प्रेरित किया जाता है.

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