– नेताओं ने कहा : गुरुजी की हुई उपेक्षा
दुमका : प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे जिला अध्यक्ष सुभाष कुमार सिंह और नगर अध्यक्ष अभिषेक चौरसिया का कहना था यह भाजपा का कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, कवि गुरु एक्सप्रेस के विस्तारिकरण का कार्यक्रम था. ऐसे में रेलवे जो कि सरकारी संस्था है. भारत सरकार की निष्पक्ष संस्था है, उसे कार्यक्रम का आयोजन राजनीति से प्रेरित होकर नहीं करना चाहिए. कवि गुरु एक्सप्रेस हावड़ा से खुली, भागलपुर गयी. कहीं ऐसा नहीं हुआ कि बीच में इसका शुभारंभ किया गया.
अगर कार्यक्रम दुमका में होना था, तो दुमका के सांसद शिबू सोरेन की उपेक्षा क्यों? जब गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे को बुलाया गया. पूर्व सांसद शहनबाज हुसैन को बुलाया गया, तो स्थानीय सांसद को क्यों नहीं? सुभाष सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी पुराने सांसद शिबू सोरेन हैं. वे जन मानस के नेता है. ऐसा उनका अपमान करना-उनको दरकिनार किया जाना लोकतंत्र की हत्या करने की तरह है.
प्रदर्शन के दौरान कालेश्वर सोरेन, सुरेंद्र यादव, रसिक मरांडी, विश्वनाथ राय, जयलाल बेसरा, मुर्तजा अंसारी, अशोक कुमार, रमेश रजक, शिव कुमार बास्की, विजय मल्लाह, सिराजुदुदीन अंसारी, कृष्णा देवी, गिदानी मुर्मू, सुनीता मरांडी, रेखा दास, पुष्पा सिंह, वासुदेव टुडू, निशित वरण गोलदार, चुंडा हेंब्रम, नईमुद्दीन अंसारी आदि मौजूद थे.
सांसद का पलटवार- …तो सन्यास ले लूंगा : डॉ निशिकांत
निशिकांत ने विरोध कर रहे और झामुमो के झंडे लहरा रहे कार्यकर्ताओं पर पलटवार करते हुए कहा कि विकास का विरोध क्यों? किस बात का विरोध कर रहे हैं आप लोग? उन्होंने कहा कि वे 10 वर्षो से सांसद हैं. एक बार भी गुरु जी को संसद में बोलते नहीं सुना. आवाज उठाते नहीं सुना. उन्होंने अगर सदन में दस साल में एक भी दिन कुछ बोला हो, तो राजनीति से सन्यास ले लूंगा. जनता ने उन्हें आवाज बनाकर भेजा है. आवाज उठायेंगे तो रेल मिलेगा, एयरपोर्ट मिलेगा. लेकिन उन्होंने क्या किया.
उन्होंने झामुमो कार्यकर्ताओं से कहा : झंडा दिखाना है तो उन्हें गुरु जी को काला झंडा दिखाना चाहिए. हाथ में कालिख ले कर उनके मुंह पर पोत देना चाहिए… और कहना चाहिए आप बूढ़े हो गये हैं. आपने अभी तक कुछ कार्य नहीं किया. अब नहीं कर सकेंगे. जाइये आराम कीजिये.