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जमीन विवाद में हुई थी हत्या, दुमका की अदालत ने 23 आरोपियों को सुनायी आजीवन कारावास की सजा

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प्रतिनिधि, दुमका कोर्ट दुमका के चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवाशीष महापात्रा ने हंसडीहा थाना क्षेत्र के बलवारा गांव में नौ साल पहले जमीन विवाद में हुई हत्या के मामले में 23 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. इनमें पवन चौधरी, अंचित इसर, दीपक राउत, नंदलाल राउत, शिवशरण […]

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प्रतिनिधि, दुमका कोर्ट

दुमका के चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवाशीष महापात्रा ने हंसडीहा थाना क्षेत्र के बलवारा गांव में नौ साल पहले जमीन विवाद में हुई हत्या के मामले में 23 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. इनमें पवन चौधरी, अंचित इसर, दीपक राउत, नंदलाल राउत, शिवशरण राउत, ठाकुरदेव राउत, अनिरुद्ध राउत, सुदर्शन राउत, वंशराज राउत, काटून राउत, परशुराम राउत, अंग्रेजी राउत, अविनाश राउत, भगलु राउत, नकुल राउत, कांति देवी, दुलारी देवी, कमली देवी, जूली देवी, रीता देवी, कारी देवी, फूलवती देवी एवं कल्याणी देवी को भादवि की धारा 302 व 149 के तहत आजीवन कारावास एवं एक-एक हजार रुपये का जुर्माने की सजा सुनायी गयी है, जबकि धारा 307 एवं 149 में सात साल की सजा और एक-एक हजार रुपये जुर्माना किया है. जुर्माने की रकम नही देने पर 1-1 साल अतिरिक्त कारावास भुगतान पड़ेगा.

क्या था पूरा मामला?‍

यह मामला हंसडीहा थाना क्षेत्र के बनवारा गांव के दिलीप कुंवर ने दर्ज कराया था. प्राथमिकी के मुताबिक 18 नवंबर 2010 को जब वह अपने जमीन पर धान की कटाई करने के लिये गये हुए थे, तभी उनके गांव के ये 12 आरोपी पारंपरिक हथियार, रॉड, भाला, फरसा, लाठी एवं बम से लैस होकर आये और जबरदस्ती धान काटने लगे. मना करने पर गांव के नागेश्वर इसर ने सत्यनारायण कुंवर, श्रीधर सिंह, जयनारायण चौधरी, कश्मीर चौधरी, कटकी कुंवर को बुला लिया. जयनाथ चौधरी भी आये थे.

नकुल राउत बम चलाने लगा और फायरिंग भी करने लगा तथा धान काटने लगा. उधर फरसा से अविनाश राउत ने सत्यनारायण कुंवर के सिर पर और श्रवण सिंह को बरछी से हमला किया. जयनारायण राउत पर भी नंदलाल राउत ने हमला किया. मारपीट की इस घटना में सत्यनारायण की पत्नी को भी चोट आयी थी. साथ ही नागेश्वर की पत्नी और शीला देवी और दुखनी चौधरी को भी माथा में चोट लगी थी.

मारपीट में घायल सत्यनारायण कुंवर के सर पर गहरी चोट थी, जिसका इलाज सरैयाहाट अस्पताल में किया गया, लेकिन वहां से दुमका और दुमका से सिउड़ी रेफर कर दिया गया था पर सिउड़ी जाने के क्रम में उनकी मृत्यु हो गयी थी. दिलीप का कहना था कि बलवारा गांव के जमाबंदी 31 के दाग नंबर 190 व 191 में 8 बीघा जमीन उन्हें हिस्से में मिला है और अपने अन्य जमीन मिलाकर कुल 16 बीघा पर खेती की थी. उसी जमीन पर धान काटने को लेकर विवाद हुआ था. मामले में एसडीओ कोर्ट से उनके पक्ष में पहले निर्णय भी हुआ था. इस केस में अभियोजन ने कुल 15 गवाहों को प्रस्तुत किया. अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक अवध बिहारी सिंह ने जबकि बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता राजीव नयन प्रसाद ने मुकदमे की पैरवी की.

एक पक्ष खुद को गेंजर के आधार पर बता रहा था रैयत, तो दूसरा कमिश्नर कोर्ट के फैसले से

उल्लेखनीय है कि इस जमीन विवाद में एक पक्ष जहां खुद को गेंजर सेटलमेंट के आधार पर खुद को उत्तराधिकारी बता रहा था, तो दूसरा पक्ष कह रहा था कि उनके पास अनुमंडल न्यायालय और आयुक्त के न्यायालय का फैसला था. तीन दिन पहले इसी विवाद में दूसरे पक्ष को इसी अदालत ने 27 नवंबर को मारपीट के मामले में तीन-तीन साल की सजा सुनायी थी.

इनमें हंसडीहा थाना क्षेत्र के बनियारा गांव के दिलीप कुंवर, नागेश्वर इसर, बलराम कुंवर, गजाधर चौधरी, मोदी कुंवर, दोरखली देवी, रंजीत इसर, श्रीधारी सिंह, श्रवण सिंह, हीरालाल चौधरी, कश्मीर चौधरी, कटकी कुंवर, जयनारायण चौधरी, तिलोम देवी, कुंती देवी, लता देवी, वीणा देवी, गुनिया देवी, गुलटेन कुंवर, श्रीकृष्ण चौधरी, लक्ष्मी देवी, सोनिया देवी, सीता देवी को भादवि की धारा 147,148,149,325 व 34 में दोषी करार दिया गया था.

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