विभागीय उदासीनता से 25 गांव प्यासे

पेयजल संकट: 34 माह बाद बाद भी बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना नहीं हुई पूरी

By Prabhat Khabar News Desk | January 1, 2025 5:32 PM
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पवन, दलाही :

मसलिया प्रखंड के 25 गांवों की यह जलापूर्ति योजना केवल कागजों पर सजी दिखती है, जबकि हकीकत में हजारों लोग अब भी स्वच्छ पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पीएचइडी द्वारा आरंभ की गयी इस महत्वाकांक्षी बहु-ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत 85 लाख रुपए की लागत से शीला नदी पर यह योजना क्षेत्र के 25 गांवों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाई गयी. परंतु, यह योजना अब विभागीय उदासीनता का शिकार हो चुकी है. बास्कीडीह पंचायत के जोगीडीह गांव के समीप शीला नदी पर 3.20 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और इंटेक वेल बनकर तैयार है. योजना के तहत 25 गांवों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना था. इन गांवों में आस्ताजोड़ा, बीचकोड़ा, घासीमारणी, बास्कीडीह, खुटोजोडी, पटनपुर और बड़ा डुमरिया जैसे क्षेत्र शामिल हैं. लेकिन, इस योजना का संचालन आज तक शुरू नहीं हो सका है, जिससे हजारों लोगों को अभी भी स्वच्छ पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है. प्रशासन को इस दिशा में तत्परता से कार्य करना होगा ताकि यह महत्वाकांक्षी परियोजना वाकई में लोगों के जीवन को बेहतर बना सके.24 महीने में पूरी होनी थी योजना

इस योजना की शुरुआत 9 फरवरी 2022 को हुई थी और इसे 8 फरवरी 2024 तक पूरा किया जाना था. लेकिन अब 2025 की शुरुआत हो चुकी है, और परियोजना अभी तक अधूरी पड़ी है. बोर्ड पर योजना का नाम ‘जरगडी बास्कीडीह एवं बड़ा डुमरिया बहु-ग्रामीण जलापूर्ति योजना’ अंकित है, लेकिन केवल दो किलोमीटर तक पाइपलाइन बिछायी गयी है. योजना की स्थानीय चुनौतियां:

जल स्रोत की अस्थिरता: कुछ स्थानीय निवासियों का कहना है कि शीला नदी वास्तव में एक जोरिया है, जिसमें केवल मानसून के दौरान पानी रहता है. शेष समय जल स्रोत सूखा रहता है, जिससे जलापूर्ति पर संकट मंडराता है.

विभागीय लापरवाही: योजना के तहत पटनपुर और आस्ताजोड़ा में जलमीनार बनाए गए हैं, लेकिन जलापूर्ति के लिए आवश्यक पाइपलाइन का काम अधूरा पड़ा है.

स्थानीय निवासियों की पीड़ा: स्वच्छ पेयजल के अभाव में 25 गांवों के लोगों को दूर-दराज के क्षेत्रों से पानी लाना पड़ता है. उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर इसका गहरा असर पड़ रहा है. लोगों ने इस समस्या का समाधान करने के लिए प्रशासन से गुहार लगायी है. जल स्रोत की स्थिरता सुनिश्चित करने, पाइपलाइन का कार्य पूरा करने और योजना को शीघ्र चालू करने की आवश्यकता है.

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पेयजल संकट: 34 माह बाद बाद भी बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना नहीं हुई पूरी

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