संवाददाता, दुमकाकल्याणमंत्री डॉ लुईस मरांडी विधानसभा चुनाव में जीत और फिर राज्य सरकार में मंत्री बनने के बाद पहली बार अपनी जन्मस्थली बड़तल्ली गांव पहुंची. पैदल ही गांव घूमा. वे पहले कैंसर पीडि़ता 46 वर्षीया चायना पाल से मिलीं. उनके स्वास्थ्य के बारे में परिजनों से जानकारी ली और ईलाज कराने के लिए हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया. आगे बढ़ते ही गांव के बुजुर्ग पंचानंद गोरायं का पैर छूकर आशीर्वाद लिया. गांव के गलियारों में महिलाओं ने भी उनका अभिनंदन किया. घर पहुंची, तो चाची मनोती मुर्मू ने मंत्री बनकर घर पहुंची बेटी का आदिवासी रीति-रिवाज के तहत पैर धोकर उसका स्वागत किया. लुईस वहां कुछ देर घर पहुंचे लोगों से मिली.गांव के कुछ बच्चे सरस्वती पूजा का चंदा लेने पहुंचे. चंदा दिया और फिर उसी चूल्हे के पास पहुंची, जहां भाभी ने चाय के लिए वर्तन चढ़ा रखा था. अदरक कुटवाया गया. लाल चाय बन रही थी. लौ तेज के करने के लिए पंखे से हवा किया, फिर खुद से चायपत्ती-चीनी डाला. लंबे राजनीतिक भागदौड़ के बाद मिट्टी के इस पुराने घर में लाल चाय की चुश्कियों के बीच बचपन की यादें ताजा कर लुईस भाव विह्वल हो गयीं. ————————-15 दुमका 9/10/13——————
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लुईस-3//अपने गांव पहुंच भाव-विह्वल हुइंर् लुईस
संवाददाता, दुमकाकल्याणमंत्री डॉ लुईस मरांडी विधानसभा चुनाव में जीत और फिर राज्य सरकार में मंत्री बनने के बाद पहली बार अपनी जन्मस्थली बड़तल्ली गांव पहुंची. पैदल ही गांव घूमा. वे पहले कैंसर पीडि़ता 46 वर्षीया चायना पाल से मिलीं. उनके स्वास्थ्य के बारे में परिजनों से जानकारी ली और ईलाज कराने के लिए हरसंभव मदद […]
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