Jharkhand news: बाल कल्याण समिति, दुमका के सामने बुधवार को राजस्थान की तीन बच्चियों का मामला सामने आया है. तीनों बच्चियां दुमका कोर्ट परिसर और आसपास के इलाके में लोगों से भीख मांग रही थी. सूचना मिलने पर चाइल्डलाइन, दुमका के केंद्र समन्वयक मधुसूदन सिंह, सीडब्ल्यूसी सदस्य डॉ राज कुमार उपाध्याय और जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्रा मौके पर पहुंचे, तो पाया कि तीनों बच्चियां खुद को प्राकृतिक आपदा का शिकार और बेघर होने का हवाला देने संबंधी कागज में अंग्रेजी में लिखे मैटर को दिखाकर लोगों से मदद की भीख मांग रही थी. चाइल्डलाइन द्वारा महिला थाना प्रभारी सह सीडब्ल्यूपीओ प्रियंका कुमारी की मदद से 13-14 साल की तीनों बच्चियों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया.
बाल कल्याण समिति के सदस्य रंजन कुमार सिन्हा और डॉ उपाध्याय ने तीनों बच्चियों के अलावा उनके मां, मौसी और बुआ का भी बयान दर्ज किया. अपने बयान में तीनों बच्चियों ने बताया कि उन्होंने स्कूल का मुंह नहीं देखा है. वह अपने मां, मौसी और बुआ समेत 20 लोगों के ग्रुप के साथ राजस्थान के पाली जिले के नीम का थाना इलाके से 15 दिन पूर्व पटना गये थे. वहां से सभी तारापीठ गये और दो दिनों पूर्व दुमका आये हैं.
सभी शहर के अग्रसेन भवन में ठहरे हुए हैं. महिलाएं मैजिक बुक बेचने का काम करती है जबकि बच्चियों का कहना था कि वह केवल मारवाड़ी समाज के लोगों से रुपये मांगते हैं. बच्चियों का कहना था कि इस तरह से मांग कर मिले पैसों से वह अपने लिए कपड़ा और चप्पल आदि खरीदेंगे. महिलाओं व बच्चियों से पूछताछ में समिति को पता चला कि राजस्थान से आये ये परिवार किसी पुरुष सदस्य को लेकर नहीं आये हैं.
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समिति ने बच्चियों के अभिभावकों को बताया कि भीख मंगवाना अपराध है. वह बच्चों से ऐसा काम नहीं करवा सकते हैं. अभिभावकों ने समिति को बॉन्ड भरकर दिया कि वे बच्चियों के साथ राजस्थान लौट जायेंगे. उनसे कोई काम नहीं करवाएंगे, बल्कि उन्हें पढ़ाएंगे. समिति ने तीनों बच्चियों को उनके मां एवं फिट पर्सन को सुपुर्द कर दिया. समिति ने इस मामले में तीन अलग-अलग इन्क्वायरी दर्ज की है जिसे राजस्थान के पाली जिला के बाल कल्याण समिति को ट्रांसफर कर दिया जायेगा.
Posted By: Samir Ranjan.