बासुकिनाथ : बाबा फौजदारीनाथ का जलाभिषेक करने के बाद लौटने के क्रम में कांवरिया बांस के बने समान खरीदना नही भूलते हैं. यहां मेले में एक सौ से ज्यादा डाला, सूप की दुकानें लगी है. व्यापारी मेले के दो माह पूर्व से ही विभिन्न गांवों से बांस का समान बनवाकर स्टॉक कर लेते हैं.
व्यापारी भोला दास, कमल दास तथा दीपक मोहली, श्याम मोहली आदि बताते हैं कि बड़ा डाला 200 रुपये, छोटा 145 रुपये, सूप 50 रुपये, साजी 35 रुपये में बिक्री हो रही है. बांस के बने समानों की व्यवसाय मेले में लाखों में होती है. कांवरिया चाहे नेपाल से, भूटान से, यूपी और छतीशगढ़ से आये हों या फिर पूर्वोत्तर राज्य से, बाबा फौजदारीनाथ की पूजा करने के बाद घर वापसी से पहले मेले में बांस के बने सूप, टोकरी, फूलदानी, डगरा आदि खरीदते हैं.
मान्यता है कि वंश की रक्षा के लिए बाबा की नगरी से बांस के समानों की खरीद यहां आने वाले कांवरिया करते हैं. वहीं बड़ी संख्या में ऐसे भी कांवरिया हैं जिनकी नजर में मेले में मिलने वाले समान उनके अपने शहर में मिलने वाले बांस के समानों के मुकाबले ज्यादा खूबसूरत और टिकाऊ होते हैं.
इसलिए वे इनकी खरीद यहां करते हैं. बलिया से आयी मालती देवी कहती हैं कि बांस के समान उनके यहां भी मिलता है लेकिन यहां के जैसा नहीं. गोरखपुर के सुरेंद्र यादव ने मेले में सूप व डाला खरीदा तथा वे कहते हैं कि कांवरिया बांस का बना समान यहां से जरूर ले जाते हैं. सरहद पार नेपाल से आये सुरेंद्र बम व मोहन वत्स ने यहां से बांस का समान खरीदकर अपने देश नेपाल ले गये.
गोपालगंज की आरती बम कहती हैं कि वे हर साल बांस के सूप व डाला खरीद कर घर ले जाते हैं. कई कांवरिया तो तीन माह बाद आने वाले छठ पर्व के लिए अभी से सूप और डलिया खरीदकर अपने साथ ले जा रहे हैं.