मालतो द्रविड़ परिवार की सशक्त बोली
दुमका : द्रविड़ परिवार की भाषाएं आदिम जनजातियों की भाषा से निकली है. द्रविड़ परिवार की बोलियां मध्य भारत, उत्तर भारत व पश्चिम भारत में बोली जाती है. तमिल, तेलगू, कन्नड़, मलयालम द्रविड़ परिवार की बोली है. तमिल की कई जनजातियों की भाषाओं से संताल परगना के राजमहल पहाड़ियों में बोली जाने वाली मालतो बोली […]
दुमका : द्रविड़ परिवार की भाषाएं आदिम जनजातियों की भाषा से निकली है. द्रविड़ परिवार की बोलियां मध्य भारत, उत्तर भारत व पश्चिम भारत में बोली जाती है. तमिल, तेलगू, कन्नड़, मलयालम द्रविड़ परिवार की बोली है. तमिल की कई जनजातियों की भाषाओं से संताल परगना के राजमहल पहाड़ियों में बोली जाने वाली मालतो बोली भी काफी मेल खाती है. मालतो द्रविड़ परिवार की एक सशक्त बोली है.
चेन्नई से आये भाषा वैज्ञानिक डॉ एन सुंदरम ने जोहार भवन में आयोजित द्रविड़ कुल की तमिल एवं संताल परगना की मालतो भाषा के अंतर संबंधों पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान उक्त बातें कहीं.
उन्होंने कहा कि पहाड़िया जनजाति झारखंड की आदिम जनजातियों में से एक है. ईसा से 302 वर्ष पूर्व का इसका इतिहास है. मालतो भाषा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि पूर्वाचल पहाड़ी की जनजाति की मातृभाषा मालतो है. यह बोलचाल की भाषा है. इसकी अपनी लिपि नहीं है. आजकल यह भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है. यह भाषा कुछ अंशों में उरांव जनजाति की कुरूख भाषा से मिलती जुलती है.
लोक गीतों, लोक कथाओं, लोकोक्तियों और पहेलियों के रूप में मालतो भाषियों ने अपने पूर्वजों की सुंदर गाथा प्रस्तुत की है. डॉ सुंदरम ने कहा कि मालतो भाषा एवं साहित्य के यहां की जनजाति का इतिहास पिरोया हुआ है. उन्होंने कहा कि इस भाषा के विकास के लिए विशेष कार्य किये जाने की आवश्यकता है. उपेक्षित रहने पर इस भाषा के विलुप्त होने का खतरा है. भारतीय शास्त्रीय तमिल संस्थान मानव संसाधन विकास मंत्रलय द्वारा प्रायोजित इस तीन दिवसीय राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन शांति निकेतन हिंदी प्रचार सभा शांति निकेतन, पश्चिम बंगाल के तत्वावधान में किया जा रहा है.
कार्यक्रम के संयोजक डॉ रामचंद्र राय एवं स्थानीय समन्वयक अशोक सिंह ने बताया कि पहले दिन तीन सत्र आयोजित किये गये. उदघाटन सत्र में बालिकाओं ने स्वागत गान के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी. प्रथम सत्र के कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन भाषा भवन शांति निकेतन के उपाध्यक्ष सुभाष राय ने किया. दूसरे एवं तीसरे सत्र में वक्ताओं ने मालतो भाषा पर विस्तार से प्रकाश डाला.
चेन्नई से पहुंची डॉ के चेल्लम ने द्रविड़ भाषा परिवारों की भाषाओं के साथ मालतो भाषा की बोलियों के सामिप्य को रेखांकित किया. गिरधारी लाल, रामदुलार देहरी आदि वक्ताओं ने भी विचार व्यक्त किया. मौके पर डॉ संजय कुमार, डॉ खिरोधर यादव, गयालाल देहरी, परीक्षित मंडल, गौरकांत झा, डॉ रामवरण चौधरी, सीएन मिश्र, फादर सोलोमन, नवीन चंद्र ठाकुर आदि मौजूद थे.