दुमका : आजादी के 68वें साल के बाद भी कुरूवा पंचायत विकास से कोसों दूर है. यहां न तो सड़क है और न ही पानी. यहां रहने वाली सात हजार की आबादी आज विभिन्न समस्याओं से जूझ रही है.
इस पंचायत में आदिवासियों की संख्या अधिक है. इस पंचायत के अंतर्गत रघुनाथपुर, बागनोचा एवं कुरूवा तीन गांव आते हैं. इन गांव वालों को न तो पेयजल मिल पा रहा है और न ही अन्य मौलिक सुविधाएं. यही वजह है कि यहां के ग्रामीणों में काफी आक्रोश में हैं.
गांव की अधिकतर सड़कें कच्ची है जो सड़कें बनी है वह पर्याप्त संरक्षण व मरम्मत के अभाव में जर्जर हो चुकी है. पंचायत में लगाये लगे अधिकतर चापानल खराब हो गये है. कुएं, तालाबों एवं गड्ढे का पानी भी सूख चुका है. लोग पेयजल के लिए हाहाकार कर रहे हैं. लोगों को नहाने के लिए कई किलोमीटर चलकर पुसारों नदी जाना पड़ता है. गांव के कई जगहों पर पानी का पाइप नहीं आने से समस्या जस की तस बनी हुई है.
मुखिया हेमलता सोरेन ने कहा कि चापाकल के निर्माण के लिए पीएचडी विभाग को आवेदन दिया गया है. सड़कों के निर्माण के लिए हमें फंड उपलब्ध नहीं कराये गये है. पिछले साल दस लाख का फंड मिला था. जिसमें कई नई सड़कें बनाई है और कुछ खराब हुई सड़कों की मरम्मती की गयी है. जलसहिया के योगदान नहीं देने से कई कार्य अधूरे पड़े हैं.’