खुशबू प्रकरण : मां संजू देवी ने कहा नहीं चाहिए सरकारी शौचालय

दुमका : खुशबू की मां ने कहा है कि जब परेशानी थी, तब कोई तकलीफ देखने-जानने नहीं आया. आज बेटी चली गयी, तो दु:ख तकलीफ देखने लोग आ रहे हैं. मदद की बात कह रहे हैं.उन्हें कोई मदद नहीं चाहिए और अब उसे सरकारी शौचालय भी नहीं चाहिए. उसने कहा कि उसके पति अपनी मेहनत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 7, 2015 6:12 AM
दुमका : खुशबू की मां ने कहा है कि जब परेशानी थी, तब कोई तकलीफ देखने-जानने नहीं आया. आज बेटी चली गयी, तो दु:ख तकलीफ देखने लोग आ रहे हैं. मदद की बात कह रहे हैं.उन्हें कोई मदद नहीं चाहिए और अब उसे सरकारी शौचालय भी नहीं चाहिए. उसने कहा कि उसके पति अपनी मेहनत की बदौलत ही किसी तरह बेटा-बेटी को कॉलेज में पढ़ा रहे थे. पढ़ने के साथ खुशबू बेटी इलाके की महिलाओं में साक्षरता का अलख भी जगा रही थी.
उसने बताया कि वे लोग मनरेगा के तहत सरकार से बनने वाले शौचालय मिल पाने की उम्मीद इसलिए भी छोड़ चुके थे कि जलसहिया का चयन भी रद्द हो गया था. किसी तरह घर में काम लगाकर शौचालय बनवाने का भी सोचा था और इसके लिए बालू भी गिरवा रखा था.
सांसद निशिकांत व मंत्री लुइस मरांडी पहुंचीं खुशबू के घर
दुमका : सांसद निशिकांत दूबे एवं समाज कल्याण मंत्री डॉ लुइस मरांडी के अलावा नगर पर्षद अध्यक्षा अमिता रक्षित सोमवार को खुशबू के घर पहुंचीं तथा घटना को दुखद बताया. सांसद निशिकांत दूबे ने कहा कि आजादी के इतने वर्ष बाद अगर ऐसी घटना होती है, तो हम सभी जनप्रतिनिधियों के लिए यह शर्मनाक बात है.
उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि सचमुच में 17 साल की लड़की ने शौचालय के लिए आत्महत्या किया है. प्रशासन से, राज्य सरकार से और केंद्र सरकार से मैं यही आग्रह करने वाला हूं कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो. वहीं मंत्री डॉ लुइस मरांडी ने कहा कि खुशबू संवेदनशील थी, परिजन भी उसकी परेशानी को समझ नहीं सके. ऐसी घटना दुबारा न हो, इसका प्रयास होगा.
इस क्षेत्र के लिए जलसहिया का चयन शायद रद्द न किया गया होता, तो स्थिति ऐसी नहीं आती और शौचालय निर्माण को लेकर लोगों की उम्मीदें नहीं टूटती. इस क्षेत्र में शुद्ध पेयजल के लिए भी दिक्कत है, लिहाजा एक चापानल लगाने का निर्देश दिया है.

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