नहीं मिला केरोसिन, लाभुकों ने मचाया हंगामा

रामगढ़ : रामगढ़ प्रखंड के बंदरजोड़ा एवं घाघरी गांव में दीपावली पर भी लाभुकों को केरोसिन नहीं मिला और उन्हें खाली डिब्बा लेकर लौटना पड़ा. जनवितरण प्रणाली के इस रवैये से नाराज लाभुकों ने गुरुवार को जमकर हंगामा किया और दुकान बंद करा दिया. बंदरजोरा गांव के गोपाल साह, घनश्याम साह, संतोष साह, जगदीश प्रसाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2015 7:11 AM

रामगढ़ : रामगढ़ प्रखंड के बंदरजोड़ा एवं घाघरी गांव में दीपावली पर भी लाभुकों को केरोसिन नहीं मिला और उन्हें खाली डिब्बा लेकर लौटना पड़ा. जनवितरण प्रणाली के इस रवैये से नाराज लाभुकों ने गुरुवार को जमकर हंगामा किया और दुकान बंद करा दिया. बंदरजोरा गांव के गोपाल साह, घनश्याम साह, संतोष साह, जगदीश प्रसाद साह, वासुदेव लायक, गोविंद कुमार आदि ने बताया कि इन्हें लेकर कुल 41 लोगों के नाम नवंबर माह में लाभुक वितरण पंजी से कटने के बाद केरोसिन नहीं मिला है, जबकि अक्तूबर माह में 4 लीटर केरोसीन तेल मिला है.

वहीं कन्हारा के सितेश पंडित, जयराम पंडित, सहदेव पंडित, सत्यनारायण पंडित सहित 140 परिवार के नाम वितरण सूची से गायब है. डीलर नवीनधर मांझी का कहना है कि 2011 में आपूर्ति विभाग द्वारा हुए सर्वे में संपन्न लोगों का नाम काट दिया गया है और सूची में जिसका नाम होगा केवल उसे ही तेल मिलेगा. वहीं लाभुकों का कहना है कि संपन्न के बजाय गरीबों को सूची से हटा दिया गया है. लाभुकों ने सरकार से पूर्व की भांति केरोसिन के वितरण को जारी रखने की मांग की है और कहा है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो आंदोलन करने को बाध्य होंगे.

महुलबोनावासी सुविधा को तरसे

शिकारीपाड़ा : सिमानीजोर पंचायत के महुलबोना गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. इस गांव में ग्रामीणों को ना तो अच्छी सड़क और ना ही पीने के लिए शुद्ध पेयजल मयस्सर है. जिससे ग्रामीणों को काफी समस्याएं हो रही है. जहां एक ओर सड़क के अभाव में कहीं भी आने-जाने में परेशानी होती है.

वहीं दूसरी पेयजल के लिए कुएं के पानी का प्रयोग करते हैं. आदिवासी व पहाड़िया आबादी बहुल वाले इस गांव के दो टोलों की जनसंख्या करीब 700 की है. जो आज भी पेयजल के लिए गांव के बाहर के एक बहियार स्थित डोभा पर आश्रित हैं. इसका एक मात्र कारण यह है कि गांव में विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये सभी चापानल खराब पड़े हैं, लेकिन इसे दुरुस्त कराकर ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में ना तो सरकारी अधिकारियों व ना ही ग्रामीण जनप्रतिनिधियों ने जहमत उठायी है.

जिसके कारण महिलाएं पगडंडियों के सहारे पेयजल लेने डोभा में पहुंचती है और बारी-बारी से पेयजल लेकर जाती है. इन सभी परेशानियों से पार पाने के बाद भी ग्रामीणों को चैन नहीं है, ग्रामीण यहां सदैव विद्युत की अनियमित आपूर्ति से तंग रहते हैं. गांव में विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था बिलकुल लचर है, यहां पिछले 25-30 दिनो से बिजली नदारत है, लेकिन कोई अता पता नहीं है कि आयेगी भी कि नहीं.

कहते हैं ग्रामीण

‘गांव के चापानल खराब पड़े हैं और विभाग द्वारा कोई पहल नहीं की है, ऐसे में हमलोग पेयजल के लिए बहियार के डोवा में ही निर्भर हैं, क्योंकि कुआं भी नहीं है, इससे काफी परेशानी हो रही है, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है.’

सीताराम टुडू

‘गांव की पथरीली सड़क पर चलने मे काफी परेशानी होती है और बिजली भी नहीं रहती है. रात के अंधेरे में किसी की अचानक तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाने में परेशानी होती है, क्योंकि पथरीली सड़क होने की वजह से कोई वाहन भी नहीं लाना चाहता है.

चरण टुडू

‘इस टोले मे कभी सड़क बनी ही नही है और सभी चापानल भी खराब हैं. यह गांव बिजली, पानी और सड़क के अभाव में उपेक्षा का दंश झेल रही है. लेकिन यहां से मुखिया व वार्ड सदस्यों ने चुनाव जीतने के बाद से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.’

विजय टुडू

Next Article

Exit mobile version