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पेट की मजबूरी ने किया बच्चों को स्कूल से दूर संवाददाता, दुमकाएयरटेल के वाइस चेयरमैन राकेश भारती मित्तल व सांसद निशिकांत दुबे जब भारती फाउंडेशन द्वारा लखीकुंडी में चालू किये गये पहले सत्य भारती लर्निग सेंटर में लाये गये बच्चों से मिले, तो किसी ने बताया कि उनके मां-बाप नहीं हैं, तो किसी ने बताया […]

पेट की मजबूरी ने किया बच्चों को स्कूल से दूर संवाददाता, दुमकाएयरटेल के वाइस चेयरमैन राकेश भारती मित्तल व सांसद निशिकांत दुबे जब भारती फाउंडेशन द्वारा लखीकुंडी में चालू किये गये पहले सत्य भारती लर्निग सेंटर में लाये गये बच्चों से मिले, तो किसी ने बताया कि उनके मां-बाप नहीं हैं, तो किसी ने बताया कि उसके सिर से पिता का साया उठ चुका है. इसलिए वे स्कूल से बाहर थे. पढ़ना वे चाहते हैं, लेकिन मजबूरी उन्हें स्कूल से दूर कर देती है. तीन-चार बच्चे ऐसे थी थे, जिन्हें पहली बार स्कूल आने का अवसर मिला. इन बच्चों से श्री मित्तल ने स्कूल से बाहर रहने की वजह जाना, फिर उन्हें शिक्षा का महत्व समझाया. प्रधानाध्यापक दयामय मांझी को प्रेरित किया. अपने वोलेंटियर से कहा कि वे इस तरह का वातावरण उन्हें उपलब्ध करायें, कि वे हर दिन इस लर्निग सेंटर में पहुंचे और शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ सकें.क्यूएसएम के तहत 25 स्कूलों को देंगे सहायताश्री मित्तल ने कहा कि क्वालिटी सपोर्ट मॉडल के तहत भारती फाउंडेशन हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों की तरह इस क्षेत्र के भी 25 स्कूलों में संसाधन उपलब्ध करायेगी. ताकि गांव के स्कूलों के बच्चों को शहर व प्राइवेट स्कूलों की तरह ही शिक्षा-दीक्षा मिल सके. हर तरह की गतिविधि से उन्हें प्रशिक्षित किया जा सके. उन्होंने कहा कि बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष फोकस भी रहेगा. संप करेगा झारखंड की दशा-दिशा तय : निशिकांत सत्य भारती लर्निग सेंटर प्रोग्राम के उदघाटन समाराेह में सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि संताल परगना जिस तरह से झारखंड की राजनीति के लिए दशा दिशा तय करता है, उसी तरह शिक्षा के मामले में भी यह क्षेत्र दशा दिशा तय करेगा, जिसकी शुरुआत आज हो रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड भी केरल की तरह शत-प्रतिशत साक्षर प्रांत होगा. ऐसे प्रयासों से 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के एक भी बच्चे ऐसे नहीं होंगे, जो स्कूल जाते नजर नहीं आयेंगे. वहीं उन्होंने कहा कि 72 से 75 फीसदी बच्चे अधूरी पढ़ाई कर पाते हैं. महिलाएं एनीमियां से पीड़ित हैं. राज्य नक्सलवाद से जूझ रहा है. शिक्षा ही इनका निदान है. राजस्थान-एमपी का अनुभव आयेगा काम : डॉ लोइस समाज कल्याण मंत्री डॉ लोइस मरांडी ने कहा कि संताल परगना झारखंड में काफी पिछड़ा हुआ है. पहले भी इस पिछड़ेपन पर उतना ध्यान नहीं दिया गया. लेकिन ऐसी शुरुआत पिछड़ापन को दूर करेगी. संस्था कुछ लेने नहीं झारखंड को देने आयी है. राजस्थान-मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में शिक्षा के अंधकार को मिटाने का जो प्रयास हुआ है, वह अनुभव झारखंड के लिए बेहद कारगर साबित होगा. यहां रोजगार का अभाव है, लेकिन नयी पीढ़ी शिक्षित होगी, तो उसके पास रोजगार के अच्छे अवसर भी होंगे. कृषि विकास में भी मदद करती संस्था : रणधीर सिंह कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि भारती फाउंडेशन जिस तरह से शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही है. यह बड़ी बात है. संताल की धरती से इसकी शुरुआत सुखद है. संताल परगना का यह इलाका स्वास्थ्य के मामले में भी काफी पिछड़ा हुआ है. उम्मीद है कि इस क्षेत्र को एम्स भी जल्द मिल जायेगा तथा हंसडीहा में प्रस्तावित हॉस्पिटल भी बन सकेगा. अनुरोध किया कि कृषि विकास के क्षेत्र में भी संस्था मदद को आगे आये. शिक्षा से ही बदलाव संभव : विजय चड्डाभारती फाउंडेशन के विजय चड्डा ने कहा कि शिक्षा से ही किसी क्षेत्र का बदलाव संभव है. शिक्षा से ही लोगों की आर्थिक स्थिति संबल हो सकती है. सही शिक्षा मिलेगी, तभी कोई आगे चलकर बराबरी कर सकेगा. हमें हर बच्चों में काबिलियत पैदा करनी होगी. संस्था क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम भी चलायेगी. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल के शिक्षक देश के सबसे अच्छे शिक्षक होते हैं और सरकारी स्कूल भी सबसे अच्छा स्कूल होता है, लेकिन इसमें हमें कुछ काम करने की जरूरत है. 40 बच्चों के साथ इस पहले सेंटर की शुरुआत हो रही है. जहां किताबे व पोशाक के साथ-साथ अन्य संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे…………….संबंधित तस्वीरें…………

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