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नवंबर में अबतक डायरिया के 62 मरीज भर्ती, एक की हो चुकी है मौत

एक नवंबर से अब तक, डायरिया से संक्रमित कुल 62 मरीजों को पीजेएमसीएच में भर्ती कराया गया है. इलाज के दौरान एक महिला की मृत्यु हो गयी. फिलहाल, अस्पताल में 2 महिलाएं और 2 पुरुषों का इलाज चल रहा है.

प्रतिनिधि, दुमका नगर जिले में इन दिनों डायरिया के मामलों में तेज़ी से वृद्धि देखी जा रही है. वर्तमान में डायरिया का प्रकोप शिकारीपाड़ा प्रखंड के दो-तीन गांवों में प्रमुख रूप से फैल रहा है, जिनमें सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र सरसडंगाल आदिवासी टोला है. इस प्रकोप का असर फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर भी पड़ा है. एक नवंबर से अब तक, डायरिया से संक्रमित कुल 62 मरीजों को पीजेएमसीएच में भर्ती कराया गया है. इलाज के दौरान एक महिला की मृत्यु हो गयी. फिलहाल, अस्पताल में 2 महिलाएं और 2 पुरुषों का इलाज चल रहा है, जबकि बाकी मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं. इन मरीजों में अधिकांश शिकारीपाड़ा क्षेत्र के निवासी थे. मेडिसिन वार्ड में बेड की कमी: पीजेएमसीएच के मेडिसिन वार्ड में पहले से ही बेड की कमी बनी हुई थी. डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ने से यह समस्या और गंभीर हो गयी है. हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने इस स्थिति से निपटने के लिए बरामदे और खाली जगहों पर अस्थायी बेड लगाकर मरीजों का इलाज शुरू किया है. चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध: मेडिसिन वार्ड में डायरिया के इलाज से संबंधित सभी प्रकार की स्लाइन और दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई गयी हैं, जिससे मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके. ———————— साधारणतः डायरिया का प्रकोप बरसात के मौसम में देखा जाता है. इसका मुख्य कारण दूषित पानी होता है. दूषित जल और खुले में रखा भोजन करने से संक्रमण का खतरा बना रहता है. संक्रमित लोगों को पहले लूज मोशन, उल्टी और पेट दर्द की शिकायत होती है. समय पर इलाज नही होने पर शरीर में पानी की कमी हो जाती है. धीरे-धीरे लोग अत्यधिक बीमार पड़ जाते हैं. इसलिए किसी को भी इस प्रकार की परेशानी हो तो बिना समय बर्बाद किये चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए. बहुत ज्यादा उल्टी या लूज मोशन हो तो शरीर मे पानी की कमी को रोकने के लिए ओआरएस, स्वच्छ पानी का प्रयोग करें. डॉ सरीफुल हक, पीजेएमसीएच, दुमका ——- डायरिया से बचाव के लिए क्या करें – खाना बनाने और खाने से पहले और बाद में हाथ धोएं. – टॉयलेट के बाद हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोएं. – किसी बीमार व्यक्ति की देखभाल करने के बाद हाथ धोएं. – हमेशा स्वच्छ पानी पीएं. – उबला हुआ पानी को ठंडा करके पिएं. – भोजन को हमेशा ढककर रखें. – खुले में शौच करने से परहेज करें. – घर के आसपास जल जमाव और गंदगी न होने दें. – छोटे बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए रोटा वायरस टिका का खुराक सम्पूर्ण लगवाये. ——– डायरिया का लक्षण क्या है – दिन में कई बार पानी जैसा या बहुत ही पतला मल त्याग होना. – पेट में अचानक से दर्द होना या ऐंठन महसूस होना. – उल्टी आना या मतली महसूस होना. – शरीर का तापमान बढ़ना और बुखार आना. – तेजी से वजन घट जाना, खासकर बच्चों में. – शरीर में थकावट रहना. – शरीर में पानी की कमी के कारण प्यास बढ़ना – मुंह सूखना ————— क्या कहते हैं सिविल सर्जन शिकारीपाड़ा क्षेत्र के दो तीन गांव में अचानक डायरिया के मरीज पाये गये थे. सूचना मिलते ही मेडिकल टीम गांव पहुंची और संक्रमित मरीजों का इलाज किया. अभी स्थिति में सुधार है. तीन दिनों से मेडिकल टीम गांव में कैंप कर रही है. अत्यधिक बीमार सात-आठ मरीजों को फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कुछ स्वस्थ होकर लौट गये और कुछ लोगों का इलाज चल रहा है. शिकारीपाड़ा के सरसडंगाल गांव में बुधवार को पांच मरीज थे. गुरुवार को 10 बजे तक एक संक्रमित मरीज मिले हैं, जिनका इलाज चल रहा है. डब्ल्यूएचओ की टीम लगी हुई है. एपीडेमोलॉजिस्ट और डीएसओ लगातार क्षेत्र में नजर बनाये रखे हुए हैं. गांव में लोग सप्लाई पानी और चापानल का पानी पीते हैं. इसलिए कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है. पानी का सैंपल जांच के लिए लाया गया है. उसके बाद ही कुछ बताना संभव हो पायेगा. फिलहाल मेडिकल टीम गांव में कैंप कर रही है. सेनिटाइजेशन का काम किया जा रहा है. बच्चा प्रसाद सिंह, सिविल सर्जन —————————- जिले में डायरिया का बढ़ा प्रकोप, शिकारीपाड़ा के दो-तीन गांव प्रभावित

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