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आेके… आज भी उपेक्षित है मोहली समुदाय -बांस से सूप, डलिया, टोकरी आदि बनाकर करते हैं जीविकोपार्जनफोटो : 20 जाम 10 बांस का टोकरी बनाते मोहली समुदाय के लोग बिंदापाथर: फतेहपुर प्रखंड क्षेत्र में मोहली समुदाय की स्थिति जस की तस है. इनके जीवनस्तर में सुधार की संभावना नहीं दिख रही है. फलत: मोहली समुदाय आज भी सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में पिछड़े है. फतेहपुर प्रखंड इलाके के मोहली जाति की अच्छी खासी आबादी है जो अपने परपंरागत पेशे को अपनाकर जीवन-यापन कर रहे हैं. कहां-कहां है मोहली जाति के लोग फतेहपुर क्षेत्र के आसनबेड़िया, दुमा, नीमडंगाल, चापुड़िया, मोहनाबांक आदि गांवों में मोहली समुदाय के लोग रहते हैं. क्या है मोहली समुदाय का पेशा :मोहली समुदाय का मुख्य पेशा बांस को चीरकर टोकरी, डालिया, सूप, पंखा आदि बनाकर परिवार का भरण-पोषण करना है. कतिपय महाजनवर्ग के लोग साल भर इनलोगों से बांस का काम करवाते हैं और औने-पौने दाम में बांस से निर्मित सामग्रियाें को खरीद कर बिहार, बंगाल, झारखंड के विभिन्न इलाकों में खपाकर मुनाफा करते हैं. मोहली वर्ग के अधिकांश बच्चे नंग-धड़ंग दिखते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होने का परिचायक है. शिक्षा के क्षेत्र में भी इनके बच्चे-बच्चियों का लगाव नहीं के बराबर है. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण स्वास्थ के मामले में भी ये लोग कोताही बरतते हैं. क्या कहते हैं लोग आसनबेड़िया गांव के श्याम मोहली ने कहा कि गांव के इक्के-दुक्के बच्चे ही हाई स्कूल तक पढ़ पाते हैं. बांकी बच्चे घर में पुस्तैनी काम में हाथ बंटाते हैं. हेनोलाल मोहली ने कहा कि हमलोग के बच्चे ज्यादातर पुस्तैनी धंधा और मजदूरी का काम करते हैं. शिक्षा के अभाव में आज भी हमारा समाज दबा हुआ है. दिनेश मोहली ने कहा कि चुनाव के समय नेता आते हैं तथा समुदाय की विकास करने की बात करते हैं. मगर चुनाव के बाद दर्शन दुर्लभ हो जाता है.