Jharkhand News: सात माह बाद ‘कृष’ को पाकर माता-पिता के आंखों में छलके आंसू, दुमका CWC ने सौंपे बच्चे

दुमका में सात माह बाद बेटे को गोद में लेते ही माता-पिता के आंखों में आ गये आंसू. इस दौरान दोनों ने कसम खायी कि भविष्य में कभी शराब का सेवन नहीं करेंगे. दुमका CWC ने मां को उसके गोद में दिया. शराब का सेवन करने के कारण बच्चे की मां एक माह के बालक को भूल गयी और अकेली घर चली गयी थी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2022 8:24 PM
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Jharkhand News: कृष्णाष्टमी के अवसर पर बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee) ने आठ माह के ‘कृष’ को उसकी मां के गोद में डाल दिया. सात महीने बाद बेटे को गोद में लेते ही जहां मां ने उसे चूम लिया, वहीं पिता की आंखें आंसुओं से छलछला गयी. बच्चे के माता-पिता ने समिति के समक्ष कसमें भी खायी कि भविष्य में वे कभी भी शराब का सेवन नहीं करेंगे.

क्या है मामला

इससे पूर्व चेयरपर्सन अमरेंद्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने माता-पिता का बयान दर्ज किया. अपने बयान में बच्चे की मां ने बताया कि वह फुटबॉल मैच देखने के लिए गयी थी, जहां शराब का सेवन करने के कारण वह अपने एक माह के बालक को वहीं भूल गयी और अकेली घर चली गयी. पिता ने समिति से कहा कि पत्नी शराब के नशे में नवजात को लावारिस हालत में छोड़कर आ गयी, तो इसमें उसकी भी गलती है. दोनों ने कहा कि शराब की वजह से सात माह से उनके कलेजे का टुकड़ा उनसे दूर हो गया. इसलिए वे भविष्य में कभी भी शराब नहीं पीएंगे.

बच्चे को बाल कल्याण समिति के समक्ष किया पेश

चेयरपर्सन अमरेंद्र कुमार ने बताया कि 5 जनवरी, 2022 को लगभग एक माह के बालक को काठीकुंड पुलिस ने लावारिस हालत में पाने पर दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करवाया था. जिसे अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया था.

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समिति ने बालक का नामांकरण किया ‘कृष’

समिति ने बालक का नामांकरण किया था कृष. बालक को समिति ने विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान (एसएए) में रखा था. एक सप्ताह बाद काठीकुंड की एक महिला समिति के समक्ष उपस्थित हुई और उक्त बच्चे की मां होने का दावा किया. पर, महिला ने अपने बयान में बताया कि उसकी तीन साल की बेटी नवजात को घर से ले जाकर कहीं छोड़ आयी है. महिला के घर और जहां नवजात लावरिस हालत में मिला था. दोनों जगहों में इतनी अधिक दूरी है कि कोई भी तीन साल की बच्ची एक नवजात को गोद में लेकर वहां तक नहीं जा सकती है. इसलिए समिति ने महिला के दावे को अस्वीकार करते हुए चाइल्ड लाइन, दुमका से सामाजिक जांच प्रतिवेदन मंगवाया. जिसमें सहिया ने बालक के जन्म और अस्पताल में इलाज की जानकारी दी थी.

डीसीपीओ से पूरे मामले में भौतिक जांच कर मांगा रिपोर्ट

सहिया और आंगनबाड़ी सेविका को सम्मन कर कागजातों के साथ बुलाया गया. इस बीच महिला और उसका पति काम के लिए दूसरे राज्य चले गये. समिति ने डीसीपीओ से पूरे मामले में भौतिक जांच कर रिपोर्ट मांगा. डीसीपीओ प्रकाश चंद्र ने सहिया और आंगनबाड़ी सेविका के बयान एवं कागजातों के साथ रिपोर्ट सौंपी. इसके आधार पर गुरुवार को समिति ने माता-पिता को बुलाकर सुनवाई पूरी करते हुए बालक को उनके साथ घर भेज दिया. मौके पर एसएए के प्रभारी तारिक अनवर, सामाजिक कार्यकर्ता वहीदा खातून भी मौजूद थे.

रिपोर्ट : आनंद जायसवाल, दुमका.

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