लगा रहता है दुर्घटना का भय

समस्या. राजबांध हटिया शेड जर्जर, दुकानदारों को हो रही परेशानी शिकारीपाड़ा : शिकारीपाड़ा प्रखंड अंतर्गत राजबांध गांव के हटिया का शेड जर्जर हो गया है. राजबांध में प्रत्येक रविवार को साप्ताहिक हाट लगती है. ऐसे में गांव के साथ साथ आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग सब्जी और विभिन्न वस्तुओं की खरीदारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 4, 2016 3:12 AM

समस्या. राजबांध हटिया शेड जर्जर, दुकानदारों को हो रही परेशानी

शिकारीपाड़ा : शिकारीपाड़ा प्रखंड अंतर्गत राजबांध गांव के हटिया का शेड जर्जर हो गया है. राजबांध में प्रत्येक रविवार को साप्ताहिक हाट लगती है. ऐसे में गांव के साथ साथ आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग सब्जी और विभिन्न वस्तुओं की खरीदारी के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में शेड के जर्जर रहने से जहां लोगों को परेशानी हो रही है. वहीं दुकानदारों में हमेशा शेड के टूटकर गिर जाने का भय लगा रहता है.
आम दिनों में तो दुकानदार किसी तरह गुजारा कर लेते हैं, लेकिन अभी बरसात के दिनों में उनके लिए यह परेशानी का सबब बन गया है. शेड के जर्जर रहने से बरसात का पानी सीधा दुकान में घुसता है और बिक्री के लिए रखे सामान बरबाद हो जाते हैं. इससे बचने के लिए वे प्लास्टिक का सहारा तो लेते है, लेकिन किसी भी वक्त शेड के टूटकर गिरने का डर सताता है. राजबांध हटिया में पलासी, जामकांदर,
आसना, जोगीखोप, भगवानपुर, पर्वतपुर , सोनाढाब, राजपाड़ा सहित दर्जनों गांवों के ग्रामीण खरीद बिक्री के लिए पहुंचते हैं. 15-16 वर्ष पहले हटिया में शेड बनया गया था, जो रख रखाव के अभाव में शेड में जर्जर हो गया. शेड के रूप में लगाये गये एसबेस्टस पूरी तरह टूट चुके हैं.
बरसात में परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है
क्या कहते हैं ग्रामीण
‘राजबांध में हटिया शेड करीब 16 वर्ष पहले बनाया गया था. मरम्मति नहीं होने से शेड का एडबेस्टस टूट गया है. शेड की मरम्मत के प्रति विभाग का ध्यान नहीं है.
राजीव लोचन साव, ग्राम प्रधान
‘शेड के छत पर लगे एसबेस्टस के टूट जाने से प्लास्टिक लगा कर दुकानदारी कर रहे हैं, लेकिन शेड के अचानक टूट जाने का भी डर लगा रहता है. शेड का निर्माण शीघ्र होनी चाहिए.
लखन दास, दुकानदार
‘इस हटिया शेड में ऊपर से प्लास्टिक लगा कर रेडीमेड कपड़े की दुकान लगाते है. बारिश के समय नये नये कपड़े भींग कर बरबाद हो जाते हैं. जिससे आर्थिक क्षति का बोझ सहना पड़ता है.
मार्सेल मियां, दुकानदार

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