घनश्याम, बंकु सहित 12 को संदेह का लाभ, बरी

काठीकुंड विस्थापन विरोधी आंदोलन में आया अदालत का फैसला दुमका कोर्ट : प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ब्रजेंद्र नाथ पांडेय ने काठीकुंड में 6 दिसंबर 2008 को विस्थापन विरोधी आंदोलन की अगुवा मुन्नी हांसदा व अन्य की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन करने और इस दौरान पुलिस द्वारा रोके जाने पर पुलिस पर कथित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2016 3:07 AM

काठीकुंड विस्थापन विरोधी आंदोलन में आया अदालत का फैसला

दुमका कोर्ट : प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ब्रजेंद्र नाथ पांडेय ने काठीकुंड में 6 दिसंबर 2008 को विस्थापन विरोधी आंदोलन की अगुवा मुन्नी हांसदा व अन्य की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन करने और इस दौरान पुलिस द्वारा रोके जाने पर पुलिस पर कथित हमला करने के मामले में शनिवार को अपना फैसला सुनाते हुए 12 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया. रिहा होने वालों में बंकु यादव, धनश्याम भगत, एनी टुडू, एमेलिया हांसदा, सुमित्रा बारला, सालगे मरांडी,ख् सिद्धेश्वर सरदार, मेहरु हांसदा, निर्मल मरांडी, बुधराय हांसदा, राजकुमार व सतन बेसरा हैं.
गुरुवार को नौ आरोपित हुए थे बरी : इस कांड में ही गुरुवार को न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए नौ आरोपियों को रिहा किया था.
घनश्याम, बंकु सहित 12…
पुलिस नौ के विरुद्ध पहले आरोप पत्र समर्पित कर चुकी थी. बाद में बंकु यादव सहित 12 लोगों के द्वारा उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत लेने के बरामद पुलिस ने 31 अगस्त 2009 को न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित किया था. आरोप पत्र में 40 गवाहों का बयान पुलिस ने दर्ज किया, लेकिन ट्रायल के दौरान 11 गवाहों का ही परीक्षण हो पाया. अभियोजन पक्ष केस को साबित करने में सफल नहीं हो पाया. परीक्षण के दौरान किसी भी गवाह के द्वारा आरोपितों की पहचान नहीं की गयी. कोई आग्नेयास्त्र भी बरामद नहीं हुआ था और न ही पुलिस पर गोली चलने की बात गवाह द्वारा न्यायालय को बताया गया. एसआइ राकेश मोहन सिंह ने न्यायालय को बताया था कि 19 राउंड गोली भीड़ पर चली थी, जिसमें उनकी गोली से दो लोग मारे गये. लुखीराम टुडू एवं सायगत मरांडी की इलाज के क्रम में मौत हो गयी थी. हवलदार सुरेश राम को सीने में तीर लगा था, जबकि इंस्पेक्टर राकेश मोहन सिन्हा को हाथ में. कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए, जबकि ग्रामीणों में सागा मरांडी, संग्राम हांसदा, भोला पाल, शिवलाल सोरेन एवं लुखीराम सोरेन भी घायल हो गये थे. अभियोजन पक्ष की ओर से एपीपी अवध बिहारी सिंह एवं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता सोमा गुप्ता ने केस की पैरवी की. घटना में मृत लखीराम टुडू के पुत्र बनेसर टुडू को अनुकंपा पर पथ निर्माण विभाग दुमका में चतुर्थवर्गीय पद पर नौकरी और मृतक की पत्नी पकु मुर्मू को एक लाख रुपये का मुआवजा मिला है. वहीं सायगत की मां सुकु टुडू को मुआवजे के रूप में एक लाख रुपये मिले थे.
40 गवाहों में से 11 गवाहों का न्यायालय में हुआ परीक्षण
कोई आग्नेयास्त्र नहीं हुआ बरामद, न ही किसी गवाह ने कहा कि पुलिस पर चली थी गोली
न्यायालय ने आरोपियों के विरुद्ध प्रतिबंधित संगठन का सदस्य का सबूत न पाकर 17 सीएलएए एक्ट के तहत आरोप नहीं किया था गठित

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