ममता की साक्षात प्रतिमूर्ति थीं मदर टेरेसा
सम्मान. संत घोषित किये जाने पर दुधानी चर्च में मिस्सा प्रार्थना व रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन, बोले विशप इलाके के सैकड़ों मसीही कार्यक्रम में हुए शामिल मदर टेरेसा की सेवा भाव को आगे बढ़ाने पर दिया बल दुमका सहित पूरे विश्व में हर्ष का माहौल मदर के स्मृति में बच्चों ने किया गीत प्रस्तुत उनके […]
सम्मान. संत घोषित किये जाने पर दुधानी चर्च में मिस्सा प्रार्थना व रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन, बोले विशप
इलाके के सैकड़ों मसीही कार्यक्रम में हुए शामिल
मदर टेरेसा की सेवा भाव को आगे बढ़ाने पर दिया बल
दुमका सहित पूरे विश्व में हर्ष का माहौल
मदर के स्मृति में बच्चों ने किया गीत प्रस्तुत
उनके बताये मार्ग पर चलने का आह्वान
दुमका : मदर टेरेसा को संत घोषित किये जाने पर उपराजधानी दुमका में रविवार को संत पॉल चर्च दुधानी में मिस्सा प्रार्थना सभा आयोजित हुई. इस दौरान कई रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये गये. दुमका कैथोलिक धर्म प्रांत के विशप जुलिय मरांडी की उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान मदर टेरेसा को संत घोषित किये जाने पर सबों ने खुशी का इजहार किया.
बुदिन बाहा हाॅस्टल के अलावा वीटीआइ के छात्र-छात्राओं ने संत मदर टेरेसा कह स्मृति में गीत गाये तथा उनकी सेवा भावों का गुणगान किया. सरुवा-कुरुवा सहित आसपास के इलाके के सैकड़ों मसीही इस कार्यक्रम में शामिल हुए. अपने संबोधन में विशप जुलियस मरांडी ने कहा कि मदर तेरेसा को संत घोषित किया जाना बहुत ही सुखद क्षण है.
ममता की वे मूर्ति थी तो सेवा भावना की प्रतिमूर्ति. उनकी सेवा भाव को हमें अपनाने, उनके कार्यों को आगे बढ़ाने, बीमार-लाचार व बेबस लोगों की सेवा करने की जरूरत है. कार्यक्रम में दुधानी के पल्ली पुरोहित फादर इमानुवेल, फादर चार्ल्स, सिस्टर एवं महिला मंडली के सदस्य मौजूद थे.
इधर एसडीसी में भी कार्यक्रम आयोजित हुए और रोम के वेटिकन सिटी में मदर टेरेसा को संत घोषित किये जाने के कार्यक्रम का प्रसारण लोगों ने मिलकर देखा तथा खुशी का इजहार किया. मिशनरीज ऑफ चैरिटी एवं निर्मला शिशु भवन में भी खुशी मनायी गयी. निर्मला शिशु भवन अनाथालय के आरंभिक दौर में 14 सितंबर 1975 को मदर टेरेसा दुमका आयी थीं.
प्रार्थना सभा में अनुयायियों को संबोधित करते विशप जुलिय मरांडी व नृत्य प्रस्तुत करतीं युवतियां.