निर्णय. तारा मंदिर भूमि विवाद मामले में निर्माण कार्य रोका, ग्रामीण हुए एकजुट
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जमीन बचाने का लिया संकल्प
निर्णय. तारा मंदिर भूमि विवाद मामले में निर्माण कार्य रोका, ग्रामीण हुए एकजुट बासुकिनाथ : बासुकिनाथ मंदिर से पूर्वी किनारे स्थित तारा मंदिर की भूमि पर चल रहे अवैध निर्माण कार्य को रोकने व मंदिर की भूमि को भू माफिया से बचाने के लिए बुधवार की शाम सुरेश कुटिर में बैद्यनाथ पांडेय की अध्यक्षता में […]
बासुकिनाथ : बासुकिनाथ मंदिर से पूर्वी किनारे स्थित तारा मंदिर की भूमि पर चल रहे अवैध निर्माण कार्य को रोकने व मंदिर की भूमि को भू माफिया से बचाने के लिए बुधवार की शाम सुरेश कुटिर में बैद्यनाथ पांडेय की अध्यक्षता में ग्रामीणों की बैठक हुई. जिसमें मंदिर की भूमि को बचाने के लिए सामूहिक रूप से संकल्प लिया. कहा किसी भी हाल में मंदिर की भूमि को हड़पने नहीं दिया जायेगा. मंदिर के सभी भूमि पर तारा मंदिर का बोर्ड लगाये जाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया.
एनएसी के पूर्व उपाध्यक्ष दिवाकांत गोस्वामी, रविकांत मिश्रा, बरुण यादव आदि ने बताया कि तारा मंदिर के आसपास की भूमि से फसल उपज मंदिर में जमा वर्षों से होती रही है. मंदिर की भूमि पर भू माफिया की नजर लग गयी है. इनकी जमीन पर अवैध निर्माण कार्य को अनुमंडलाधिकारी जिशान कमर ने छह मई को बंद कराया था. ग्रामीणों ने बताया कि इस संबंध में उपायुक्त से मिलकर उन्हें मंदिर की भूमि के बारे में विस्तार से जानकारी दी जायेगी. मौके पर पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष मनोज पंडा, हरिश्चंद्र सिंह, संदीप पांडेय, दिवाकर झा, वरुण यादव, जेपी यादव, चंदन राव, मिठू राव, जगदीश यादव, नरेश पंडा, शैलेश राव, जयप्रकाश यादव आदि मौजूद थे.
बुधवार को श्याम सुरेश कुटिर में बैठक करते ग्रामीण.
तीन बीघा 11 कट्ठा 4 धूर जमीन पर है माफियाओं की नजर : ग्रामीण
प्राचीन तारा मंदिर के जमाबंदी नंबर 58 के अन्तर्गत दाग संख्या 568 कुल रकवा तीन बीघा ग्यारह कट्ठा चार धूर जमीन पर भू माफिया अवैध कब्जा कर रहा है. ग्रामीणों ने हस्ताक्षरित आवेदन अनुमंडलाधिकारी को आवेदन देकर जमीन को भू माफिया के चंगुल से भूमि को मुक्त कराने की मांग की है. ग्रामीणों ने बताया कि भू माफिया
द्वारा अवैध तरीके से भूमि को कब्जा किया जा रहा है. इस भूमि पर से फसल उपजा कर मंदिर के स्वामी श्यामानंद सरस्वती मंदिर का संचालन करते रहे हैं. गेंजर सेटलमेंट में यह जमीन लोचन मिर्धा के नाम से दर्ज है तथा यह जमाबंदी रैयत है. ग्रामीणों का कहना है कि इस जमीन का कोई वारिशान नहीं है तथा पूर्व में जमीन का मालिक द्वारा इसे दान में तारा मंदिर को दिया गया था.
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