आठ करोड़ रुपये का भवन फांक रहा धूल
उदासीनता. पांच साल बीतने के बाद भी लोगों को नहीं मिला लाभ, अब तक निर्माण कार्य भी अधूरा 29 अप्रैल 2011 को कॉलेज का किया गया था शिलान्यास डेयरी इंजीनियरिंग कॉलेज का सपना नहीं हुआ पूरा हंसडीहा : हंसडीहा में लगभग बनकर तैयार हो चुके डेयरी इंजीनियरिंग कॉलेज को सरकार अब तक पूरा नहीं करा […]
उदासीनता. पांच साल बीतने के बाद भी लोगों को नहीं मिला लाभ, अब तक निर्माण कार्य भी अधूरा
29 अप्रैल 2011 को कॉलेज का किया गया था शिलान्यास
डेयरी इंजीनियरिंग कॉलेज का सपना नहीं हुआ पूरा
हंसडीहा : हंसडीहा में लगभग बनकर तैयार हो चुके डेयरी इंजीनियरिंग कॉलेज को सरकार अब तक पूरा नहीं करा सकी है. पांच वर्ष पहले बडे ही जोर-शोर से भाजपा-झामुमो के गंठबंधन वाली सरकार ने इसका शिलान्यास किया था. तत्कालीन कृषि एवं गन्ना विकास, पशुपालन व मत्स्य मंत्री सत्यानन्द झा बाटुल ने 29 अप्रैल 2011 को इसका शिलान्यास किया था. साढ़े पांच साल बीत जाने के बाद भी अभी तक भवन निर्माण कार्य ही पूर्ण ही नहीं हुआ है. जो भवन बने थे,
उनमें से कई में खिड़की तक नहीं बने हैं और न ही फर्श. स्थानीय लोगों को उम्मीद थी कि इस तरह के संस्थान खुलने से क्षेत्र का विकास होगा़ डेयरी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. डेयरी के क्षेत्र में क्रांति लाने में इस क्षेत्र के युवा अपनी महती भूमिका निभा सकेंगे और रोजगारोन्मुख हो सकेंगे.
निर्माण कार्य भी पड़ा है ठप
पिछले दो-ढ़ाई साल से इस डेयरी इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन निर्माण का कार्य ठप पड़ा हुआ है. अब तक इस भवन की देखरेख करने वाला भी कोई नहीं है. भवन यूं ही पड़े-पड़े खराब भी हो रहा है. अब इसके गेट-ग्रिल पर असामाजिक तत्वों की नजर लग रही है.
पीपीपी मोड में चलाने की थी योजना
इस डेयरी इंजीनियरिंग कॉलेज को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर सरकार ने चलाने की बात कही थी. कहा जा रहा है कि इसे संचालित करने के लिए कोई संस्था भी आगे नहीं आ रही है. लिहाजा महकमा भी इस मामले में सुस्त पड़ गया है.
सरकार ने इसी सत्र में चालू करने का दिया था आश्वासन
डेयरी इंजीनियिंग कॉलेज ही नहीं कृषि महाविद्यालय सहित कई आइटीआइ और पॉलिटेक्निक कॉलेज के भवन बनकर तैयार हैं. लेकिन सरकार मानव संसाधन की ही व्यवस्था नहीं कर पा रही है. बिना तैयारी के केवल भवन बनवाये जा रहे हैं. हमने विधानसभा में सवाल भी उठाया था. सरकार ने इसी सत्र से चालू करने की बात कही थी. पर स्थिति देख लगता नहीं कि सरकार ने उसकी भी तैयारी की है.
– प्रदीप यादव, विधायक, पोड़ैयाहाट
कहते हैं विभागीय अधिकारी
दुमका के जिला गव्य विकास पदाधिकारी अरुण कुमार सिन्हा बताते हैं कि इस डेयरी इंजिनियरिंग कॉलेज को बनाने और उसे संचालित कराने का कार्य बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के जरिये होना है. लिहाजा इस विषय में वे विशेष कुछ नहीं कह सकते. चालू होने से इसका लाभ संताल परगना क्षेत्र को मिल पाता.
संस्थान खुलने से डेयरी व्यवसाय फलता-फूलता
सेवानिवृत शिक्षक नारायण मंडल कहते हैं कि इस संस्थान के खुलने से यहां डेयरी व्यवसाय फलता-फूलता. बच्चों को डेयरी तकनीक की शिक्षा हासिल हो पाती. सामाजिक कार्यकर्ता रामदिवस जायसवाल के अनुसार सरकार के रूपये का दुरुपयोग हो रहा है. राज्य सरकार को पहल कर जल्द से जल्द इसे चालू कराना चाहिए. नये सत्र से ही इसे चालू कराने की पहल करनी चाहिए.