बेकार हो गयी टॉय ट्रेन, झूले भी नहीं

उपेक्षा . छुट्टियों में नहीं कर पा रहे बच्चे मस्ती, सृष्टि पार्क बदहाल पहले पार्क में थी बोटिंग की सुविधा अब केवल कंटिली झाड़ियां हैं बूट हाउस हो चुका बदरंग कैफेटेरिया में ताला लटका सनसेट प्वाइंट के आसपास भी गंदगी का लगा अंबार दुमका : उपराजधानी दुमका के कुरुवा स्थित सृष्ट पार्क में बच्चों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2016 5:58 AM

उपेक्षा . छुट्टियों में नहीं कर पा रहे बच्चे मस्ती, सृष्टि पार्क बदहाल

पहले पार्क में थी बोटिंग की सुविधा
अब केवल कंटिली झाड़ियां हैं
बूट हाउस हो चुका बदरंग
कैफेटेरिया में ताला लटका
सनसेट प्वाइंट के आसपास भी गंदगी का लगा अंबार
दुमका : उपराजधानी दुमका के कुरुवा स्थित सृष्ट पार्क में बच्चों के लिए लगवाया गया टॉय ट्रेन लंबे अरसे से बेपटरी होकर यूं ही पड़ा हुआ है. चार साल पहले 2012 में जब शहरी जलापूर्ति योजना का काम चल रहा था, उस वक्त कुरुवा पहाड़ पर बनाये गये पानी टंकी में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी चढ़ाये जाने के लिए मोटी-मोटी पाइप बिछायी गयी थी. उस पाइप को बिछाने के लिए टॉय ट्रेन की पटरियां उखाड़ दी गयी थी और उसकी नन्हीं-नन्हीं बोगियां उठाकर सृष्टि पार्क के अंदर रख दिया गया था. चार साल में न तो उसे दोबारा स्थापित कराने का प्रयास उक्त संवेदक कंपनी ने ही किया और न ही जिला प्रशासन ने बच्चों के मनोरंजन के लिए इसे दोबारा चालू कराने की पहल ही की. इस टॉय ट्रेन के चलने पर बच्चों की खूब भीड़ कुरुवा पहाड़ में जुटती थी,
अब तो इस पार्क में केवल रविवार को ही थोड़ी भीड़-भाड़ दिखती है. पूर्व की तरह सृष्टि पार्क में अब न तो झूले रह गये और न ही बोटिंग की सुविधा ही. कभी औषधीय और वनस्पतिक महत्व के पौधों के लिए चर्चित रहे इस पार्क में अब केवल कंटिली झाड़ियां हैं. बूट हाउस बदरंग हो चुका है. शीशे टूट-फूट चुके हैं. कैफेटेरिया में ताला लटका रहता है. इधर उधर प्लास्टिक के प्लेट-पैकेट पार्क को बदरंग बना चुके हैं. सनसेट प्वाइंट के आसपास भी गंदगी का अंबार है.
क्या कहते हैं संचालक
जिस समिति को इस कुरुवा पार्क को चलाने का जिम्मा सौंपा गया है, उसके प्रमुख राजेश मंडल का कहना है कि इस पार्क को खूबसूरत बनाये रखने के लिए जो प्रशासनिक पहल होनी चाहिए, वह नहीं हो रही है. समय-समय पर नये-नये झूले लगने, टॉय ट्रेन को दोबारा चालू करवाने, रंग-रोगन करवाने से इस पार्क के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ता, पर ऐसा हो नहीं पा रहा. अपने स्तर से ही हमलोग नये साल पर थोड़ा-बहुत रंग रोगन करा रहे हैं.

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