विशुद्ध हृदय में ही टिकती है भागवत: सुदामा

बासुकिनाथ : बाबा बासुकिनाथ मित्र मंडल, सियलदह द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह के पांचवें दिन बासुकिनाथ सुरेश कुटीर में सोमवार को भक्तों ने भागवत रूपी कथा भक्ति सागर में डुबकी लगाकर अपने जीवन को धन्य किया. कथा व्यास आचार्य सुदामा जी महाराज ने कहा कि श्रद्धा के बिना भक्ति नहीं होती तथा विशुद्ध हृदय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2017 5:17 AM

बासुकिनाथ : बाबा बासुकिनाथ मित्र मंडल, सियलदह द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह के पांचवें दिन बासुकिनाथ सुरेश कुटीर में सोमवार को भक्तों ने भागवत रूपी कथा भक्ति सागर में डुबकी लगाकर अपने जीवन को धन्य किया. कथा व्यास आचार्य सुदामा जी महाराज ने कहा कि श्रद्धा के बिना भक्ति नहीं होती तथा विशुद्ध हृदय में ही भागवत टिकती है. उन्होंने कहा कि भगवान के चरित्रों का स्मरण, श्रवण करके उनके गुण, यश का कीर्तन, अर्चन, प्रणाम करना, अपने को भगवान का दास समझना, उनको सखा मानना तथा भगवान के चरणों में सर्वश्व समर्पण करके अपने अन्त:करण में प्रेमपूर्वक अनुसंधान करना ये नव प्रकार की भक्ति है.

परमात्मा जिज्ञासा का विषय है : व्यास जी ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की सुंदर कथा का श्रवण कराया. श्रीकृष्ण को सत्य के नाम से पुकारा गया. जहां सत्य हो वहीं भगवान का जन्म होता है. जहां साधु-संतों, गाय व ब्राह्मणों पर अन्याय, अत्याचार होता है. वहीं भगवान का अवतार होता है. व्रज की गोपियां प्रभु से अत्यंत प्रेम करती थीं. भगवान भक्तों के प्रेम के बंधन में चोर बनने को भी तैयार है. गोपियों के घर -घर जाकर माखन चोर बनके दर्शन दिया. भक्तों के प्रेम में बंधने पर प्रभु को आनंद आता है. भक्त के हृदय में भगवान और भगवान के हृदय में भक्त हमेशा ही विराजमान रहते हैं. जब जीव को भगवान की करूणा का बोध होता है तब स्वयं ही भगवान में लीन हो जाते हैं. भगवान के गुणगान श्रवण करने से तृष्णा समाप्त हो जाती है. उन्होंने कहा कि परमात्मा जिज्ञासा का विषय है परीक्षा का नहीं. व्यास जी ने बताया कि गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र के अभिमान को भंग किया. मटकी फोड़ लीला एवं कृष्ण कन्हैया की गिरराज लीला की झांकी दिखाकर श्रोताओं का मन मोह लिया. कथा के सफल संचालन में बाबा बासुकिनाथ मित्र मंडल सियालदह के बनारसीलाल अग्रवाल, विकास कुमार अग्रवाल सहित समिति के कई सदस्य लगे हुए हैं.

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