चाचा की हत्या करने वाले को आजीवन कारावास
क्राइम . जान गुरू के संदेह में की थी हत्या दुमका : जिला एवं सत्र न्यायाधीश (तृतीय) पवन कुमार की अदालत ने जान गुरू के संदेह में चाचा की हत्या करने के मामले में सोमवार को जरमुंडी के कन्हैयापुर गांव में रहनेवाले लुखिन हेंब्रम को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. कोर्ट ने अभियुक्त […]
क्राइम . जान गुरू के संदेह में की थी हत्या
दुमका : जिला एवं सत्र न्यायाधीश (तृतीय) पवन कुमार की अदालत ने जान गुरू के संदेह में चाचा की हत्या करने के मामले में सोमवार को जरमुंडी के कन्हैयापुर गांव में रहनेवाले लुखिन हेंब्रम को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. कोर्ट ने अभियुक्त पर 25 हजार रुपया का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना की राशि नहीं जमा कराने पर उसे तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी. 15 दिसंबर 2011 को जरमुंडी थाना में दर्ज केस के मुताबिक जरमुंडी थाना अंतर्गत कन्हैयापुर लकड़ा गांव में जान गुरू के संदेह में अपने चचेरे भाई की चाकू गोद कर हत्या कर दी थी. घटना के 10 दिन पूर्व लुखिन हेंब्रम की पत्नी की मौत हो गयी थी. जिसके लिए उसने पुत्तिलाल हेंब्रम को जिम्मेवार ठहराते हुए प्रेत विद्या करने का आरोप लगाया था.
इस मामले को लेकर गांव में पंचायती भी की गयी थी. जिसमें 25 हजार का जुर्माना लगाया गया था और पुत्तिलाल ने जुर्माना की राशि अदा भी कर दी थी पर उसका प्रतिशोध के आग में जल रहा था. घटना के दिन पुतिलाल हेंब्रम घर के आंगन में खाट पर बैठा हुआ था. उसकी पत्नी और बेटी आंगन में ही खाना बना रही थी. तभी चचेरा भाई लुखिन हेंब्रम चाकू लेकर अंदर आया और पुतिलाल के सीने में उतार दिया. शोर मचाने पर आरोपित चाकू छोड़कर फरार हो गया. आवाज सुनकर आग ताप रहा बेटा महालाल हेंब्रम अंदर आया, तब तक पिता की मौत हो चुकी थी. अदालत में अधिवक्ताओं की दलील और मृतक की पत्नी और बहन के बयान के आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए सजा सुनायी. अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता राजेंद्र मोदी और अभियोजन की ओर से सहायक लोक अभियोजक ज्ञानेंद्र झा ने बहस में हिस्सा लिया.