आदिवासी समाज में दहेज प्रथा नहीं : अशोक
राजकीय जनजातीय हिजला महोत्सव में महिला सशक्तिकरण विषय पर परिचर्चा दुमका : राजकीय जनजातीय हिजला महोत्सव में भीतरी कला मंच पर बेटी बचाओ के संदर्भ में महिला सशक्तिकरण विषय पर परिचर्चा आयोजित की गयी. परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद नगर पर्षद अध्यक्षा अमिता रक्षित ने कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं को […]
राजकीय जनजातीय हिजला महोत्सव में महिला सशक्तिकरण विषय पर परिचर्चा
दुमका : राजकीय जनजातीय हिजला महोत्सव में भीतरी कला मंच पर बेटी बचाओ के संदर्भ में महिला सशक्तिकरण विषय पर परिचर्चा आयोजित की गयी. परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद नगर पर्षद अध्यक्षा अमिता रक्षित ने कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं को शक्ति, धन और विद्या की देवी मानने के बावजूद महिलओं की स्थिति दयनीय है. इसके लिए समाज को जागरूक होने की आवश्यकता है. महिलाओं की संस्था वी की सचिव सिंहासन कुमारी ने कहा कि स्वस्थ बेटी ही आगे चलकर स्वस्थ मां बनती है जो स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है. स्वस्थ बच्चा ही आगे जाकर देश का सबल मानव संसाधन बनता है.
अशोक सिंह ने कहा कि आदिवासी समाज से तथाकथित सभ्य समाज को बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है. कारण आदिवासी समाज में दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या आदि जैसी कुरीतियां नहीं हैं. मेरिनिला मरांडी ने समाज द्वारा महिलाओं को सिर्फ भोग की वस्तु समझे जाने पर क्षोभ व्यक्त किया उन्होंने महिला और पुरुषों के साथ समान बरताव किये जाने पर बल दिया. सुशांति हांसदा ने कहा कि पति का विश्वास किसी महिला को एक मुकाम दे सकता है. परन्तु एक पिता द्वारा अपने बेटी पर किया गया विश्वास उसे जीवन में आत्मनिर्भर बनायेगा. पीटर हेम्ब्रम ने इस बात पर क्षोभ प्रकट किया कि मां की विभिन्न रूपों में पूजा करते हैं दूसरी ओर महिशासुर बनकर स्वयं उसकी हत्या करते हैं. विद्यापति झा ने कहा कि महिलाओं की समाज में दयनीय स्थिति सिर्फ भारत ही नही पूरे विश्व की समस्या है. उन्होने महिला सशक्तिकरण के लिए संवैधानिक एवं कानूनी पहलुओं की चर्चा की. कार्यक्रम में धनमुनी किस्कू, अंजनी शरण, नीतू भारती, प्रियंका चक्रवर्ती अपने विचार प्रगट किये. इस अवसर पर झारखण्ड कलाकेन्द्र के प्राचार्य गौर कान्त झा, मनोज कुमार घोष, जिवानन्द यादव, कुणाल झा, अंकित कुमार पाण्डेय तथा सौरभ सिन्हा आदि उपस्थित थे.
िकसानों को नहीं मिल रहा लाभ