पांच साल से डाक बंगला पर पुलिस का कब्जा, अल्टीमेटम का असर नहीं

दुमका : हंसडीहा में 2012 से पुलिस निरीक्षक कार्यालय के रूप में उपयोग में लाये जा रहे जिला परिषद‍ के डाक बंगला को खाली कराने की मांग को लेकर जन प्रतिनिधियों के तेवर तल्ख हो चुके हैं. मंगलवार को जन प्रतिनिधियों ने अपने समर्थकों के साथ अध्यक्ष जॉयस बेसरा एवं उपाध्यक्ष असीम मंडल की अगुआई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 10, 2017 8:56 AM
दुमका : हंसडीहा में 2012 से पुलिस निरीक्षक कार्यालय के रूप में उपयोग में लाये जा रहे जिला परिषद‍ के डाक बंगला को खाली कराने की मांग को लेकर जन प्रतिनिधियों के तेवर तल्ख हो चुके हैं. मंगलवार को जन प्रतिनिधियों ने अपने समर्थकों के साथ अध्यक्ष जॉयस बेसरा एवं उपाध्यक्ष असीम मंडल की अगुआई में पुलिस अधीक्षक कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया तथा धरने पर बैठ गये. बाद में इन लोगों ने पुलिस उप महानिरीक्षक को ज्ञापन सौंपा. बता दें कि पुलिस महकमें द्वारा डाक बंगला को खाली करने के लिए जो समय सीमा दी गयी थी, वह डेडलाइन बीत चुकी है. इसके बावजूद पुलिस पदाधिकारियों की चुप्पी से जिला परिषद‍ सदस्यों में उबाल है.
श्रीमती बेसरा ने कहा कि 2012 से ही पुलिस निरीक्षक कार्यालय के रूप में जिला परिषद‍ का डाक बंगला उपयोग में लाया जा रहा है, पर इसका फूटी-कौड़ी किराया अब तक नहीं दिया गया है.
इस मामले में उप विकास आयुक्त सह जिला परिषद‍ के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा जिले के एसपी को क्रमश: 16 अप्रैल 2016, 02 अगस्त 2016, 9 सितंबर 2016, 15 फरवरी 2017 तथा 12 अप्रैल 2017 को पत्र लिखकर इस भवन को खाली करने के लिए कहा गया था. छह माह पहले 18 नवंबर को किये गये भूख हड़ताल के आंदोलन के दौरान स्थानीय जिला परिषद‍् सदस्य निभा जायसवाल को 31 दिसंबर तक डाकबंगला खाली करने का आश्वासन दिया गया था.
उपाध्यक्ष असीम मंडल ने कहा कि जिला परिषद‍ का खर्च अपने संसाधनों से प्राप्त होनेवाले राजस्व से ही चलता है. पर डाकबंगला न तो खाली किया जा रहा, न उसका किराये का भुगतान हो रहा है.
क्षेत्र की जिप सदस्य निभा जायसवाल ने कहा कि तीन दिनों के अंदर उक्त डाक बंगला खाली नहीं किया गया, तो 12 मई से अपने समर्थकों के साथ हंसडीहा डाकबंगला के समक्ष अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल का आंदोलन शुरू करेंगी. आंदोलन में जिला परिषद‍् सदस्य चंद्रशेखर यादव, पूनम मुर्मू, सावित्री देवी, जयप्रकाश मंडल, मनोहर बैठा के साथ-साथ बड़ी संख्या में उनके समर्थक हाथों में तख्तियां थामे मौजूद थे.

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