सरकार ने जेल में प्रदीप से मिलने की अनुमति नहीं दी

झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल ने लगाये आरोप कहा, रांची जेल में बंद भाजपा विधायक संजीव सिंह से भाजपा नेता जब चाहते हैं, मुलाकात कर लेते है दुमका : झारखंड विकास मोरचा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी दुमका सेंट्रल जेल में बंद अपने विधायक और पार्टी के केंद्रीय प्रधान महासचिव प्रदीप यादव से नहीं मिल सके. उन्हें सरकार ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2017 5:12 AM

झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल ने लगाये आरोप

कहा, रांची जेल में बंद भाजपा विधायक संजीव सिंह से भाजपा नेता जब चाहते हैं, मुलाकात कर लेते है
दुमका : झारखंड विकास मोरचा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी दुमका सेंट्रल जेल में बंद अपने विधायक और पार्टी के केंद्रीय प्रधान महासचिव प्रदीप यादव से नहीं मिल सके. उन्हें सरकार ने मिलने की अनुमति नहीं दी.
बाबूलाल ने मीडिया के सवालों के जवाब में तथा वीर कुंवर सिंह चाैक पर आयोजित नुक्कड़ सभा में कहा कि दुमका जेल में बंद पार्टी के महासचिव प्रदीप यादव से मुलाकात करने के लिये दो दिन पहले ही जेल आइजी को पत्र लिखकर उन्होंने अनुमति मांगी थी. उपायुक्त के साथ जेल काराधीक्षक को पत्र लिखा था. मंगलवार को पूरा दिन इंतजार करने के बाद भी मुलाकात की अनुमति नहीं दी गयी. श्री मरांडी ने कहा कि यह सब सरकार के इशारे पर हो रहा है.
एक ओर रांची जेल में हत्या के आरोप में बंद भाजपा विधायक संजीव सिंह से भाजपा के नेता जब चाहते हैं, अंदर जाकर मुलाकात कर लेते हैं. जबकि प्रदीप यादव कोई हत्यारे नहीं हैं. उन्होंने जनता के लिए लड़ाई लड़ी है. बड़कागांव में भी
सरकार ने जेल में…
यही हुआ है. यहां भी किसानों की आवाज बनने वाले को जेल भेज दिया गया. एक तरफ सरकार हत्यारों का सम्मान करती है और किसान, मजदूर व गरीबों की लड़ाई लड़ने वालों को जेल भेजकर सीसीए लगवाने का प्रयास कर रही है. उन्हें जिला बदर किया जाता है. सरकार जनता की सुनना ही नहीं चाहती है. उन्होंने कहा कि 18 मई को जो चक्का जाम हो रहा है, वह सरकार के खिलाफ नहीं है. जनता की आवाज पर ही यह निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि यह सरकार पूंजीपतियों के इशारे पर काम कर रही है.
कहा: उग्रवादी ने सरेंडर नहीं किया, सरकार ने टेके घुटने : श्री मरांडी ने नुक्कड़ सभा में सरकार की कार्यशैली पर अंगुली उठाते हुए कहा कि दर्जनों लोगों की जान लेने वाले उग्रवादी कोई आत्मसमर्पण नहीं किया बल्कि सरकार ने उसके आगे घुटना टेके है. जिस तरह मीडिया व चैनलों में दिखा कि पुलिस वाले उससे इस तरह मिल रहे थे कि जैसे मानों कोई समधी मिलन हो रहा है. कहा कि वे उग्रवादियों के आत्मसमर्पण करने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन जिस तरह से इस नाटक को रचा गया,
उससे सरकार पर अंगुली उठना स्वाभाविक है. कहा कि सरकार हत्या करने वालों को सम्मान करके क्या साबित करना चाहती है. यह सरकार का अजब खेल है. जनभावना को दर किनारकर वाहवाही लूटने के लिए सरकार हद पार कर रही है.

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