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शोध लेखन के दौरान आलोचनात्मक विचार पर अपनी बात रखने में पूर्वाग्रह से बचें : डॉ श्वेता रानी

झारखंड स्त्री अध्ययन परियोजना व आदिवासी महिला संसाधन केंद्र, सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन माध्यम से दो दिवसीय हिंदी भाषा में अकादमिक लेखन कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें देश के अलग- अलग शैक्षणिक संस्थानों से शोध कर रहे 50 से अधिक चयनित शोधार्थी और विद्यार्थी शामिल हुए

एसकेएमयू की पहल पर आयोजित हुई अकादमिक लेखन कार्यशाला, शोक को लेकर मिले मार्गदर्शन संवाददाता, दुमका झारखंड स्त्री अध्ययन परियोजना व आदिवासी महिला संसाधन केंद्र, सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन माध्यम से दो दिवसीय हिंदी भाषा में अकादमिक लेखन कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें देश के अलग- अलग शैक्षणिक संस्थानों से शोध कर रहे 50 से अधिक चयनित शोधार्थी और विद्यार्थी शामिल हुए, जिन्हें हिंदी में शोधपत्र लिखने की पद्धति, चुनौती और समाधान पर मार्गदर्शन दिया गया. कुलपति प्रो डॉ बिमल प्रसाद सिंह ने प्रतिभागियों को शोध लेखन के लिए शुभकामना दी. कार्यशाला की शुरुआत सहायक प्राध्यापक एवं महिला प्रकोष्ठ के समन्वयक डॉ निर्मला त्रिपाठी ने प्रतिभागियों का स्वागत, रिसोर्स पर्सन के रूप में उपस्थित अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय बेंगलूरु के सहायक प्राध्यापक डॉ श्वेता रानी का परिचय कराते हुए किया. डॉ श्वेता रानी ने हिंदी में अकादमिक लेखन के क्षेत्र में अपने अनुभव से शुरुआत करते हुए लेखन की चुनौती, तैयारी और आलोचनात्मक विचार पर अपनी बात रखते हुए पूर्वाग्रह से बचने का सुझाव दिया. उन्होंने कार्यशाला के दौरान देश-विदेश के कई प्रसिद्धि प्राप्त शोध और उनके लेखन शैली का उदाहरण देते हुए शब्दों के चयन और प्रयोग के विषय में बताया. लेखन में व्याकरण का प्रयोग, तर्क, उद्धरण का प्रयोग करने की कला के साथ- साथ किसी विषय पर शोध करने के दौरान सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, आर्थिक पूर्वाग्रह के प्रभाव के बारे बताया. उन्होंने प्रतिभागियों को असाइनमेंट के रूप में उदाहरण लेख भी लिखवाये और उस पर प्रतिक्रिया दीं. महिला अध्ययन केंद्र अर्थशास्त्र विभाग रांची के को-ऑर्डिनेटर डॉ ममता कुमारी ने बताया कि अंग्रेजी भाषा में अकादमिक लेखन की कई कार्यशाला होती रहती हैं, उन्हें सीखने ले लिए किताबें भी आसानी से मिल जाती है, पर हिंदी भाषा में अकादमिक लेखन कार्यशाला का हमारा उद्देश्य वैसे लोगों को अवसर प्रदान कराना है, जो हिंदी में शोध कर रह हों या करना चाहते हों. यदि यह अवसर उन्हें नहीं मिलेगा तो उनके विचार और शोध भी समाज के बीच नहीं आ पाएंगे जो देश और समाज के लिए जरूरी हों. अर्थशास्त्र विभाग रांची विश्वविद्यालय रांची के पूर्व विभागाध्यक्ष सह महिला अध्ययन केंद्र के इंचार्ज डॉ रंजना श्रीवास्तव ने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि यह आयोजन ऐतिहासिक है. हिंदी में अकादमिक लेखन कार्यशाला बहुत कम देखने और सुनने को मिलता है. इस मुहिम को हम आगे भी जारी रखेंगे. कार्यशाला में बेंगलुरु, हैदराबाद, बीएचयू, एक्सआइएसएस, रांची, दुमका आदि शैक्षणिक संस्थानों से प्रतिभागी जुड़ें और मार्गदर्शन प्राप्त किया. कार्यशाला का संचालन महिला अध्ययन केंद्र के सहायक समन्वयक नीति तिर्की ने किया. रांची विवि की डॉ कल्पना सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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