सरैयाहाट/हंसडीहा. बिहार के भागलपुर समेत कुछ अन्य इलाकों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आने से झारखंड की सीमा में भी खतरा बढ़ गया है. इस आशंका के चलते इलाके में चिकन की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पशुपालन विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है और अलर्ट मोड में काम कर रहा है. बर्ड फ्लू से संक्रमित मुर्गे, मुर्गियां या अन्य पक्षियों के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों के लिए यह बीमारी घातक साबित हो सकती है, जिससे गंभीर श्वसन संक्रमण हो सकता है. संक्रमण के बाद इंसानों में बर्ड फ्लू के लक्षण दिखने में आमतौर पर तीन से पांच दिन लगते हैं.
दुमका जिले में बंगाल से पॉल्ट्री मुर्गों की अधिक आवक :
हालांकि, राहत की बात यह है कि दुमका जिले और आसपास के इलाकों में पॉल्ट्री मुर्गियों की आपूर्ति बिहार से कम और पश्चिम बंगाल के आरामबाग जैसे क्षेत्रों या स्थानीय पॉल्ट्री फार्मों से अधिक होती है. यही कारण है कि अब तक यहां मुर्गों और मुर्गियों में बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है. पॉल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोग फिलहाल चिंतित नहीं हैं, लेकिन वे सावधानी बरतते हुए अधिक मात्रा में पॉल्ट्री मुर्गियों का स्टॉक करने से बच रहे हैं. इसके पीछे एक और वजह बढ़ती गर्मी भी है, जो इस व्यवसाय पर प्रभाव डाल सकती है.
क्या कहते हैं अधिकारी :
सरैयाहाट प्रखंड के बीएएचओ डॉ शंकर टुडू ने बताया कि सीरम व स्वाब के नमूने लेकर जांच के लिए आरएलएस रांची भेजा गया है. दो सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट आयेगी. प्रखंड में कहीं भी कोई पक्षी या मुर्गी मरने की सूचना नहीं है. डरने की कोई बात नहीं है. सावधानी और मॉनीटरिंग से ही बर्ड फ्लू के खतरे से बचा जा सकता है. बर्ड फ्लू से बचाव के लिए कोई टीका नहीं है.
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