मुख्यमंत्री को समझ में आ चुका कि बचना है मुश्किल : बाबूलाल मरांडी

श्री मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन को अच्छी तरह से पता है दूसरे आरक्षित सीट से वे अपनी पत्नी को चुनाव लड़ा नहीं सकते. उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ओड़िशा की रहनेवाली हैं. वहां के डोमिसाइल के आधार पर रिजर्व सीट पर चुनाव लड़ नहीं सकती.

By Prabhat Khabar News Desk | January 2, 2024 8:21 AM

दुमका : पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को समझ में आ चुका है कि उनका बचना अब मुश्किल है. इसलिए वे अपने विकल्प को लेकर तैयारी कर रहे हैं. दुमका के मसानजोर में प्रभात खबर से बातचीत में श्री मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री को इडी ने सातवीं बार समन किया है. इससे पहले के समन में वे पेश नहीं हुए. अब ऐसे में इडी ने उन्हें ही जगह तय करने को कहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री को समझ में आ गया है कि उनका बचना अब मुश्किल है. श्री मरांडी ने कहा कि जो जैसा करता है, वैसा भरता है. कहावत भी है जैसी करनी, वैसी भरनी. इसलिए उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है. वे अब जिसे सीएम बनायेंगे, उनके लिए वे अब जगह बना रहे हैं. श्री मरांडी ने कहा कि किसी को अचानक इस्तीफा दिलाना और इस्तीफे की बात को एक दिन छिपाकर रखे जाने से ऐसा लगता है कि लंबा-चौड़ा डील इसमें हुआ है या हो रहा है.

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श्री मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन को अच्छी तरह से पता है दूसरे आरक्षित सीट से वे अपनी पत्नी को चुनाव लड़ा नहीं सकते. उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ओड़िशा की रहनेवाली हैं. वहां के डोमिसाइल के आधार पर रिजर्व सीट पर चुनाव लड़ नहीं सकती. ऐसे में वे अपनी पत्नी को किसी रिजर्व सीट पर लड़ातें, तो किसी के द्वारा अदालत में चुनौती दे देने पर वह सीट चली जायेगी. इसका लाभ वे नहीं ले सकते. इसलिए गांडेय जैसी सीट को चुना गया. श्री मरांडी ने कहा कि झारखंड से रेसिडेंसियल सर्टिफिकेट मिल भी गया होता, तो वे चुनाव नहीं लड़ पायेंगी, अभी-अभी हाइकोर्ट से भी निर्णय आया है कि रिजर्व सीट की सुविधाओं का लाभ जॉब को लेकर लेकर भी नहीं लिया जा सकता. इसी को आधार बनाकर पिछले पंचायत चुनाव में झारखंड में ब्याही गयी बहुओं को चुनाव नहीं लड़ने दिया गया था.

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