शिबू सोरेन परिवार से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले छठे सदस्य बसंत सोरेन

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो शिबू सोरेन के छोटे बेटे बसंत सोरेन ने सोमवार (12 अक्टूबर, 2020) को दुमका (एसटी) विधानसभा उपचुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया. विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने वाले वे अपने परिवार के छठे और संताल परगना को विधायकी के जरिये अपनी कर्मभूमि बनाने की चाह रखने वाले पांचवें सदस्य हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2020 11:31 AM

दुमका (आनंद जायसवाल) : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो शिबू सोरेन के छोटे बेटे बसंत सोरेन ने सोमवार (12 अक्टूबर, 2020) को दुमका (एसटी) विधानसभा उपचुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया. विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने वाले वे अपने परिवार के छठे और संताल परगना को विधायकी के जरिये अपनी कर्मभूमि बनाने की चाह रखने वाले पांचवें सदस्य हैं.

पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन खुद टुंडी व तमाड़ के अलावा जामा व जामताड़ा से, बड़े बेटे दिवंगत दुर्गा सोरेन ने जामा से, दूसरे बेटे हेमंत सोरेन ने दुमका व बरहेट से तथा पुत्रवधू सीता सोरेन ने जामा से किस्मत आजमायी. इन सीटों पर हार-जीत के संघर्ष के बाद चारों सदन तक पहुंचे भी. शिबू सोरेन जामताड़ा उपचुनाव जीते थे, तो एक बार उपचुनाव में तमाड़ सीट खोकर उन्हें सत्ता भी गंवानी भी पड़ी थी.

इससे काफी पहले अपना पहला राजनीतिक चुनाव उन्होंने टुंडी से लड़ा था. उसमें भी गुरुजी हार गये थे. वहीं, पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वर्गीय दुर्गा सोरेन को जामा विधानसभा क्षेत्र की जनता ने दो बार अपना जनप्रतिनिधि चुना था. एक बार इस सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उनके निधन के बाद से उनकी पत्नी सीता सोरेन तीसरी बार इस क्षेत्र का जनप्रतिनिधित्व कर रही हैं.

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दुमका से वर्ष 2009 के चुनाव में जीतकर शिबू सोरेन के दूसरे बेटे हेमंत सोरेन डिप्टी सीएम और फिर मुख्यमंत्री बने. सत्ता खोने के बाद वे संताल परगना के ही बरहेट सीट से वर्ष 2014 में चुनाव जीतकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. वर्ष 2019 में दुमका-बरहेट दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने. सीएम बनने के बाद उन्होंने बरहेट क्षेत्र की विधायकी को स्वीकार किया.

शिबू सोरेन के भाई लालू सोरेन ने भी विधानसभा चुनाव लड़ा था. राजनीति में कदम रखने की इच्छा से उन्होंने संताल परगना के बाहर से किस्मत आजमायी, लेकिन हार गये. इसके बाद उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा. अब शिबू सोरेन के छोटे बेटे बसंत सोरेन पहली बार चुनावी राजनीति में आये हैं. उन्हें राज्यसभा भेजने की एक कोशिश नाकाम हो चुकी है.

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Posted By : Mithilesh Jha

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