बासुकिनाथ. बाबा फौजदारीनाथ के दरबार में शुक्रवार को हरि का हर से मिलन होगा. पंडा धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष मनोज पंडा के नेतृत्व में मंदिर के पंडा पुरोहितों ने बैठक कर इसका निर्णय लिया. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मंदिर के पुजारी हरि से हर का मिलन करवाएंगे. धर्मरक्षिणी सभा के अध्यक्ष मनोज पंडा ने बताया कि हर साल हरिहर मिलन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होता है. हरि-हर मिलन के बाद ही पूरे क्षेत्र में होली खेली जाती है. हरि भगवान विष्णु को माना जाता है और हर भगवान शिव को. बताया कि हरिहर मिलन के दिन श्रृंगार पूजा नहीं होती है. मंदिर परिसर में स्थित राधा कृष्ण के मंदिर से कृष्ण भगवान को लाया जाता है, जो गर्भगृह में भोलेनाथ को अबीर-गुलाल लगाते हैं. मालपुआ का भोग लगाया जाता है. कृष्ण भगवान को बाबा मंदिर में ले जाकर शिवलिंग पर रखा जाता है और हरिहर मिलन कराया जाता है. जहां लोग शिवलिंग पर अबीर गुलाल अर्पण करते हैं. ऐसा करने से भक्तों पर भगवान शिव और भगवान विष्णु की कृपा बरसती है. पंडित सुधाकर झा ने बताया कि फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत-पूजन, चंद्र अर्घ्य पहले दिन, वहीं स्नान-दान उदयातिथि के अनुसार 14 मार्च शुक्रवार को होगा. पूर्णिमा मां लक्ष्मी और चंद्रमा को समर्पित है. बताया कि फाल्गुन के महीने में ही चंद्रमा का जन्म हुआ था. ज्ञात हो कि यह हरि से हर का मिलन वर्ष में एक बार फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होता है.
फाल्गुन पूर्णिमा आज, श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी :
फाल्गुन पूर्णिमा के पावन अवसर पर शुक्रवार को बाबा फौजदारीनाथ का जलाभिषेक करने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने की संभावना है. मंदिर प्रभारी सह बीडीओ कुंदन भगत ने बताया कि मंदिर का पट चार बजे भोर में खुलेगा. सरकारी पूजा के बाद गर्भगृह का पट भक्तों के लिए खोल दिया जायेगा. मंदिर प्रभारी ने श्रद्धालुओं की सुविधार्थ कर्मियों को आवश्यक निर्देश भी दिए. पूर्णिमा पर हजारों श्रद्धालुओं द्वारा जलार्पण करने की संभावना है. पूर्णिमा के कारण बाबा मंदिर में स्थानीय व दूरदराज गांव से भी काफी भीड़ जुटेगी. हिंदू संस्कृति में पूर्णिमा का काफी महत्व है.पार्वती संग आज कोहबर से बाहर निकलेंगे फौजदारी बाबा :
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन शुक्रवार को कोहबर से बाहर निकलेंगे बाबा फौजदारीनाथ. वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि के दूसरे दिन से माता पार्वती के साथ एक पखवारे तक भोलेनाथ कोहबर गृह में विराजमान रहते हैं. परंपरा के मुताबिक फाल्गुन पूर्णिमा पर कोहबर घर से निकलकर भगवान शिव व माता पार्वती अपने-अपने मंदिर के लिए प्रस्थान कर जाएंगे. मंदिर के पुरोहित पंडित प्रेमशंकर झा ने बताया कि महाशिवरात्रि के दूसरे दिन भोलेनाथ के प्रतीकात्मक त्रिशूल को पीतांबरी धोती और रुद्राक्ष माला के साथ नगर भ्रमण के पश्चात माता पार्वती के साथ कोहबर घर में प्रवेश कराया गया था. यहां 15 दिनों तक दोनों के साथ रहने के बाद फाल्गुन पूर्णिमा के मौके पर मंदिर के पुजारी द्वारा परंपरागत तरीके से भगवान शिव के प्रतीकात्मक त्रिशूल को कोहबर से निकालकर पुनः गर्भगृह के अंदर ले जाया जााता है. वहीं बाबा मंदिर के गर्भगृह में अधिवास पूजन से बिछाया गया पलंग भी हटा दिया जाता है. बाबा एवं पार्वती मंदिर के गुंबद पर शिवरात्रि के अवसर पर भक्तों द्वारा चढ़ाए गए गठबंधन व ध्वजा को उतारकर नए ध्वजा एवं गठबंधन को चढ़ाया जायेगा. इस अवसर पर उतारे गए ध्वजा एवं गठबंधन को प्रसाद स्वरूप प्राप्त करने के लिए भक्तों में होड़ लगी रहती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है