संतानों को बालपन से दें धर्म की शिक्षा: महंत गंगाधर
राधा कृष्ण मंदिर प्रांगण में भागवत कथा का आयोजन.
शिकारीपाड़ा. शिकारीपाड़ा के राधा कृष्ण मंदिर प्रांगण में भागवत कथा के छठे दिन मुख्य वक्ता महंत गंगाधर ने भावपूर्ण कथा का प्रसंग प्रस्तुत किया. उन्होंने महारास के प्रसंग में देवों के देव महादेव का पार्वती के संग सहेली बनकर आगमन का सुंदर चित्रण किया, जहां कृष्ण के पंचम सुर में बांसुरी की धुन पर भोलेनाथ सुध-बुध खोकर नृत्य करने लगे और ब्रजभूमि में गोपेश्वर महादेव की स्थापना का उल्लेख किया. कथा में उन्होंने कृष्ण और बलराम के अक्रूर जी के साथ मथुरा जाने का प्रसंग सुनाया, जिसमें कुब्जा उद्धार, चाणूर और कंश वध के घटनाक्रम का विस्तार से वर्णन किया गया. उन्होंने आगे देवकी और वासुदेव की कारागार से मुक्ति तथा उग्रसेन को पुनः राजा बनाए जाने की कथा सुनायी, जिससे उपस्थित श्रद्धालुओं में भक्ति का भाव जागृत हुआ. महंत गंगाधर ने बताया कि कृष्ण ने जरासंध को सत्रह बार पराजित किया और अठारहवीं बार रणछोड़ बनकर मुचकुंद द्वारा कालयवन का उद्धार कराया. उन्होंने कृष्ण के द्वारका गमन और रुक्मिणी विवाह के प्रसंग को भी विस्तार से प्रस्तुत किया, जिससे श्रद्धालुओं का मन कृष्ण-भक्ति से भर गया. कथा के दौरान महंत गंगाधर ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को धर्म और संस्कार की शिक्षा दें, क्योंकि माता-पिता ही उनके प्रथम गुरु होते हैं. उन्होंने कहा कि बचपन में धर्म की शिक्षा से बच्चों में बौद्धिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास के बीज अंकुरित होते हैं. इससे परिवार में एकता बनी रहती है और वृद्ध माता-पिता को वृद्धाश्रम का सहारा नहीं लेना पड़ता. भागवत कथा के इस वाचन और मधुर भजनों की प्रस्तुति ने भक्ति की रसधारा को प्रवाहित कर दिया, जिससे मंदिर प्रांगण में उपस्थित श्रद्धालुओं का मन श्रद्धा और भक्ति से भर गया.की-बोर्ड पर देवनाथ शर्मा, मृदंग में सुमन जी, पेड में रंजीत जी व युगलबंदी में लक्खी, प्रिया, माधवी आदि ने संगत दी.
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