संताल परगना का नाम बदलकर करें पहाड़िया अरण्यांचल

केंद्रीय पहाड़िया आदिम जनजाति संघ का 30 वां वार्षिक महाधिवेशन संपन्न, राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर उठायी मांग.

By Prabhat Khabar News Desk | February 12, 2025 11:17 PM

दुमका. केंद्रीय पहाड़िया आदिम जनजाति संघ द्वारा प्रथम स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद बाबा तिलकामांझी की 275 वीं जयंती देर रात तक समारोहपूर्वक मनायी गयी. इस अवसर पर संघ के झारखंड प्रदेश इकाई का 30 वां वार्षिक अधिवेशन भी इंडोर स्टेडियम प्रांगण में आयोजित हुआ, जिसमें संताल परगना प्रमंडल के अलावा पश्चिम बंगाल, असम व बिहार के अलग-अलग इलाके के पहाड़िया आदिम जनजाति समाज के लोगों ने भाग लिया. कार्यक्रम में पहाड़िया आदिम जनजाति समाज के बुद्धिजीवियों-गणमान्य लोगों और नेताओं ने विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की. कार्यक्रम के दौरान सर्वसम्मति से 18 सूत्री प्रस्ताव पारित किया और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा. इसकी प्रतिलिपि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री आदि को भेजी गयी है. संघ ने संताल परगना प्रमंडल का नाम बदलकर पहाड़िया अरण्यांचल प्रमंडल रखे जाने, झारखंड में जनजातीय सलाहकार समिति में आदिम जनजाति सदस्यों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कराने, दुमका-राजमहल लोकसभा सीट के साथ-साथ संप के आदिम जनजाति की आबादी वाले विस क्षेत्रों को आदिम जनजाति के लिए आरक्षित करने की मांग उठायी है. इससे पूर्व मुख्य अतिथि के तौर पर पुरातत्वविद सह इतिहासकार पंडित अनूप कुमार वाजपेयी ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन किया और अखिल भारतीय पहाड़िया आदिम जनजाति उत्थान समिति द्वारा प्रकाशित माल पहाड़िया मावणों-माव त्योहार कैलेंडर 2025 एवं डायरी का लोकार्पण किया. श्री वाजपेयी ने पहाड़िया आदिम जनजाति समाज की जागृति और एक बड़े मंच पर जुटान पर खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा कि समाज के लिए चिंतन-मनन और भविष्य के लिए कार्ययोजना बनाने की यह पहल समाज को आगे ले जाएगी. उन्होंने कहा कि पहाड़िया आदिम जनजाति सामाजिक-राजनीतिक व शैक्षणिक रूप से जागरूक बने, यह आज के दौर में बेहद जरूरी है. श्री वाजपेयी ने बाबा तिलकामांझी के संघर्ष व शहादत की भी विस्तृत चर्चा की और कहा कि प्रथम स्वतंत्रता सेनानी तिलकामांझी की प्रतिमा भारतीय संसद में लगायी जानी चाहिए, ताकि पूरे देश-विदेश में भी उनके बलिदान को लोग सदियों तक याद रखें. उन्होंने कहा कि आज तिलकामांझी के नाम पर विश्वविद्यालय है, मुहल्ला है, चौक-चौराहे हैं, लगातार शोध भी हो रहे हैं, पर कई अनसुलझे पहलुओं पर अध्ययन का सिलसिला जारी रखने की भी जरूरत है. उन्होंने पहाड़िया समाज के अन्य ऐसे रणबांकुरों के बारे में इतिहास लेखन, अध्ययन की आवश्यकता पर जोर दिया और समाज के युवाओं को ऐसे कार्य में आगे बढ़ने की अपील की. संघ के मुख्य संरक्षक रामजीवन आहड़ी ने कहा कि पहाड़िया समाज एकजुट होकर आगे बढ़ेगा, तो सभी समस्याओं का निदान हम करा पाने में सक्षम होंगे. उन्होंने नशाबंदी के लिए समाज में जागरूकता लाने व पढ़े-लिखे युवाओं से अपनी भाषा को समृद्ध बनाने के लिए व्याकरण व शब्दकोश तैयार करने का आह्वान किया. वहीं राजू पुजहर ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी पहचान हमारी संस्कृति है. अपनी संस्कृति को हमें हर हाल में बचाना होगा. केंद्रीय अध्यक्ष मनोज सिंह पहाड़िया ने कहा कि हमारा समाज शत-प्रतिशत शिक्षित बने, यह संकल्प आज हमें लेना होगा, क्योंकि शिक्षा ही कई तरह की समस्याओं को दूर कर सकती है. इस अवसर पर संतोष पुजहर, दामोदर गृही, राजेश गृही, रामेश्वर पुजहर, रामजीवन आहड़ी, महादेव देहरी, हरि नारायण सिंह, मुन्नी देवी, पूर्णिमा पुजहर, रामधन देहरी, गणेश्वर देहरी, मंगलानंद देहरी, बसंती देवी, रीता देवी आदि उपस्थित थे. मंच संचालन संताेष पुजहर ने किया.

मंच से उठी मुख्य मांगें :

– संताल परगना प्रमंडल का नाम बदलकर पहाड़िया अरण्यांचल प्रमंडल रखा जाए.

– जनजातीय सलाहकार समिति में आदिम जनजाति सदस्यों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए.

– कल्याण विभाग द्वारा संचालित आवासीय विद्यालयों में पहाड़िया भाषा के जानकार शिक्षक की नियुक्ति हो.

– दुमका व राजमहल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र व पहाड़िया बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र आदिम जनजाति के लिए आरक्षित हो.

– बंगाल, बिहार, असम सहित आदि राज्यों में निवास करनेवाले माल पहाड़िया को आदिम जनजाति का दरजा मिले.

– सभी शैक्षणिक संस्थानों में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से 25 प्रतिशत सीट आदिम जनजाति के लिए आरक्षित करें.

– गोपीकांदर, हिरणपुर, बांझी, धमनी एवं बालिका आवासीय विद्यालय नकटी व बंदरकोला को प्लस टू विद्यालय में उत्क्रमित किया जाए.

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