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बंगाल और ओड़िशा में बड़े पैमाने पर बांस की सप्लाई करता है झारखंड का चाकुलिया

यहां बने उत्पादों को 19 देशों में निर्यात किया जाता था. बांस के 8-10 प्रोडक्ट यहां तैयार होते थे. इस वक्त दुमका में इसाफ (ESAF) का प्लांट है, जहां स्थानीय कारीगरों/शिल्पकारों की मदद से बांस के उत्पाद तैयार किये जाते हैं और उसे अलग-अलग देशों में निर्यात किया जाता है.

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला में स्थित चाकुलिया में बड़े पैमाने पर बांस की खेती होती है. इसलिए मानुषमुड़िया में बंबू सीजनिंग प्लांट या कहें कि बंबू ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की गयी थी. 12 कट्ठा में बने इस प्लांट में बांस के अलग-अलग उत्पाद तैयार किये जाते थे. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल जाता था. लेकिन, कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से इस प्लांट से उत्पादन ठप हो गया.

झारखंड में बने उत्पादों का 19 देशों में होता है निर्यात

यहां बने उत्पादों को 19 देशों में निर्यात किया जाता था. बांस के 8-10 प्रोडक्ट यहां तैयार होते थे. इस वक्त दुमका में इसाफ (ESAF) का प्लांट है, जहां स्थानीय कारीगरों/शिल्पकारों की मदद से बांस के उत्पाद तैयार किये जाते हैं और उसे अलग-अलग देशों में निर्यात किया जाता है. इसाफ अपने उत्पादों की सप्लाई झारक्राफ्ट, कुसुम इम्पोरियम, ट्राईफेड, गुडबुक्स, लुमंक्राफ्ट, फैब इंडिया को करता है.

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हर दिन दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं 25-30 ट्रक बांस

झारक्राफ्ट ने मानुषमुड़िया में बने बंबू सीजनिंग प्लांट में 9-10 लोगों को काम पर रखा था. लेकिन, व्यापार में घाटा के नाम पर सभी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. इसमें मशीन ऑपरेटर, गार्ड और मार्केटिंग विभाग के कर्मचारी शामिल थे. बताया जाता है कि चाकुलिया से पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में बड़े पैमाने पर बांस की सप्लाई होती है. हर दिन 25-30 ट्रक बांस इन दोनों राज्यों में भेजे जाते हैं.

दुमका में तैयार हो रहे सबसे ज्यादा बांस के उत्पाद

हालांकि, बांस के सबसे ज्यादा उत्पाद दुमका में तैयार हो रहे हैं. इसाफ ने सभी जिलों में कुछ जगहों पर बांस से अलग-अलग तरह के क्राफ्ट बनाने की ट्रेनिंग दी. लेकिन, उत्पादन संथाल परगना में ही सबसे ज्यादा हो रहा है. चाकुलिया में बड़े पैमाने पर बांस की खेती हो रही है, लेकिन इसका लाभ जिस तरह से वहां के लोगों को मिलना चाहिए, नहीं मिल रहा है.

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