झारखंड : दुमका के नक्सल प्रभावित काठीकुंड प्रखंड की बदल रही तस्वीर, विकास की खींची जा रही लकीर

संताल परगना का नक्सल प्रभावित बड़ाचपुड‍़िया क्षेत्र की तस्वीर बदल रही है. पहले गोलियों की तड़तड़ाहट सुनने को मिलती थी, अब क्षेत्र में सरकारी योजनाएं धरातल पर दिख रही है. जिला, प्रखंड प्रशासन एवं एसएसबी द्वारा ग्रामीणों के साथ लगातार समन्वय बनाये रखने की कोशिशों का असर दिखा है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 21, 2023 12:55 AM
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काठीकुंड (दुमका), अभिषेक : कभी नक्सल खौफ से जहां लोग दिन में भी घरों से निकलने को कतराते थे. वहीं, आज लोग सामान्य जीवन-यापन कर रहे हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीर बदलती नजर आ रही है. दुमका जिले के नक्सल प्रभावित काठीकुंड प्रखंड की बड़ाचपुड़िया पंचायत की. प्रखंड का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में सबसे पहले जो बात आती थी, वो थी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र. प्रखंड क्षेत्र में कई ऐसी नक्सल वारदातों को अंजाम दिया जा चुका था, जिनमें पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या सबसे बड़ी घटना थी. अब तस्वीर बदल रही है. बदलाव की पटकथा में अहम भूमिका निभा रही है एसएसबी की बटालियन. क्षेत्र में हो रहे विकास कार्य, ग्रामीण व पुलिस महकमे के बीच घटती दूरियां.

बदल रही है फाेकस एरिया की तस्वीर

बदलाव की यह कहानी इतनी आसान नहीं थी. पर जिला, प्रखंड प्रशासन एवं एसएसबी द्वारा ग्रामीणों के साथ लगातार समन्वय बनाये रखने की कोशिशें की जा रही है. प्रखंड के कई गांवाें को फोकस क्षेत्र बना कर विशेष योजनाएं दी जा रही है. क्षेत्र में विकास कार्यों की रफ्तार से चीजें बदल रही है. एसएसबी नागरिक कल्याण कार्यक्रम के तहत क्षेत्र के युवक युवतियों को प्रशिक्षित कर उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित कर रही है. बड़ाचपुड़िया पंचायत क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी सौगात अगर कुछ मानी जायें, तो वो होगी पंचायत के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रोड कनेक्टिविटी. एसएसबी व पुलिस प्रशासन की नक्सलियों पर नकेल के बाद अगर क्षेत्र के बदलाव में जो चीज सबसे अहम भूमिका निभा रही है.

नरगंजो से महुआगड़ी तक बनी 18 किमी पक्की सड़क

पंचायत के नारगंज से पहाड़ों पर बसे महुआगड़ी गांव तक बन रही 18 किलोमीटर की पक्की सड़क. क्षेत्र के बदलाव की गाथा जब भी याद की जायेगी, तो विषम परिस्थितियों के बीच समतल जमीन के साथ 10 किलोमीटर से भी ज्यादा पहाड़ी रास्तों पर सड़क का बनना याद रखा जायेगा. सड़क ऐसी थी कि इन रास्तों पर बाइक से चलना तक भी जान पर खेलना जैसा होता था, क्योंकि थोड़ी-सी चूक आपको कई फीट गहरी खाई में ले जा सकती थी. अब पहाड़ी रास्तों से होकर प्रकृति के खूबसूरत नजारों का आनंद लेते हुए चारपहिया वाहन गांव के अंतिम छोर तक जा रही है, जबकि सड़क निर्माण अभी प्रगति पर है. इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि सड़क निर्माण के बाद क्षेत्र की तस्वीर कितनी बदल जायेगी. विकास निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जो कभी खत्म नहीं होती. बिजली हर गांवों तक पहुंच ही चुकी है. अब गंभीर परिस्थितियों में एंबुलेंस गांव तक पहुंच सकेगी. आधा से एक घंटे में मरीज अस्पताल तक पहुंच सकेंगे.

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पर्यटन क्षेत्र बनने के बाद बढ़ेगी क्षेत्र की पहचान

पर्यटन के लिहाज से क्षेत्र काठीकुंड प्रखंड को नयी पहचान दे सकता है. अगर पर्यटन के तौर पर इस क्षेत्र को विकसित किया जाता है तो क्षेत्र के लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही. साथ ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा भी मिलेगा. परिवर्तन की इस बयार को लेकर हमने बात की पंचायत के घोर नक्सल प्रभावित गांव रह चुके महुआगड़ी गांव के ग्रामीणों से. ग्रामीणों से बात कुछ एक कमियां सामने निकल कर आयी. लेकिन जो सबसे बड़ी बात दिखी वो है परिस्थितियों में सकारात्मक बदलाव.

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण होलिका देहरी का कहना है कि गांव से विद्यालय आने-जाने के लिए काफी परेशानी झेलनी पड़ती थी. अब सड़क बन जाने से वो परेशानी खत्म हो गयी. परिस्थितियां भी बदल चुकी है. क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ किये जाने की आवश्यकता है. वहीं, देवेंद्र देहरी का कहना है कि पहाड़ों पर बसे होने के कारण सड़क की बहुत बड़ी समस्या थी, जो अब समाप्त हो रही है. पानी की बहुत बड़ी समस्या हमलोगों को रहती थी. सोलर संचालित जलमीनार भी लगायी गयी है. सकारात्मक माहौल है.

महुआगड़ी से डुमरिया तक सड़क की मांग

ग्रामीण रामदास देहरी का कहना है कि हमारा क्षेत्र बदल रहा है. यह अच्छी बात है. क्षेत्र की मूलभूत आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जा रहा है. स्वास्थ्य सुविधाएं और बेहतर की जाए. यह क्षेत्र स्वस्थ्य के दृष्टिकोण से अब भी बहुत पिछड़ा है. वहीं, जयशंकर प्रसाद देहरी का कहना है कि पहले के मुताबिक चीजों में काफी बदलाव आ चुका है. अपने क्षेत्र में मजदूरी, खेती कर जीवन यापन कर रहे हैं. अगर महुआगड़ी से डुमरिया तक सड़क बना दी जाये, तो प्रखंड मुख्यालय से आसानी से जुड़ पायेंगे.

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सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का प्रयास : बीडीओ

इस संबंध में काठीकुड के प्रखंड विकास पदाधिकारी रजनीश कुमार ने कहा कि विकास कार्यों के माध्यम से यह प्रयास है कि लोगों को मूलभूत सुविधा के साथ शिक्षा व रोजगार से जोड़ा जाये. क्षेत्र को अलग पहचान देने के लिए महुआगड़ी में पार्क का प्रस्ताव जिला मुख्यालय को भेजा गया है, ताकि क्षेत्र में पर्यटन के साथ रोजगार का भी सृजन हो सके. कई योजनाएं बनायी गयी है. धरातल पर उतरने का प्रयास हो रहा है.

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