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एसीपी-एमएसीपी की कटौती पर विवि कर्मी क्षुब्ध, प्रशासनिक भवन में की तालाबंदी

विवि के साथ कालेजों में कर्मचारी आंदोलन में उतरे, गये बेमियादी हड़ताल पर

दुमका. सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के शिक्षकेतर कर्मचारी आंदोलन पर उतर गये हैं. इनका आंदोलन अनिश्चितकालीन है. कर्मचारियों ने फिलवक्त प्रशासनिक भवन में तालाबंदी की है, पर मांग पूरा न होने पर उनका अल्टीमेटम विवि व कॉलेजों के मुख्य गेट में ताला जड़ने का भी है. कर्मचारियों ने परीक्षा को प्रभावित किये वगैर अपना आंदोलन जारी रखने की बात कही है. दरअसल, इन शिक्षकेतर कर्मियों को आंतरिक स्रोत से दिए जा रहे एसीपी एमएसीपी के लाभ की कटौती बिना किसी पूर्व सूचना के दिवाली व छठ जैसे त्योहार पर माह 2024 से ही कर दी गयी थी. कर्मचारी नेता नेतलाल मिर्धा, परिमल कुंदन आदि ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन का शिक्षकेतर कर्मचारियों के प्रति इस असंवेदनशील रवैये से काफी दुख हुआ है. झारखंड राज्य में यह पहला विश्वविद्यालय है, जहां कर्मियों के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बिना किसी कार्यालयी प्रक्रिया को पूरा लिये ऐसी अमानवीय सख्ती प्रदर्शित की गयी. विश्वविद्यालय प्रशासन के अमानवीय कृत्य की घोर निदा करते हुए कहा कि परीक्षाओं का संचालन हो या परीक्षाफल का प्रकाशन, समय पर वेतन भुगतान हो या पेंशन का भुगतान, राज्य सरकार द्वारा वांछित कागजातों को तैयार करना हो या माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का अनुपालन, बकायों की गणना हो या विपत्रों का भुगतान, हर कार्य उनलोगों ने पूरी ईमानदारी एवं निष्ठापूर्वक संपादित करने में सहयोग किया है. विश्वविद्यालय के विकास के लिए प्रशासन के आदेशों का अनुपालन करते आये हैं, जिसके बदले वर्ष 2016 से देय सातवें वेतनमान से भी उन्हें अब तक वंचित रखा गया है. इतना ही नहीं इन कर्मियों का पांचवें. छठे एवं सातवें वेतनमान में लाखों रुपये बकाया है. कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सातवां वेतन हमारा हक है. इसे देने की नैतिक जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की है. कर्मचारियों के वेतन निर्धारण, समय पर वेतन एवं बकायों का भुगतान, समय पर प्रोन्नति इत्यादि लाभों को सुनिश्चित करना विश्वविद्यालय प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए. न कि सभी लाभों से वंचित रखते हुए सिर्फ कार्यालयी कार्यों के प्रति दबाव बनाना चाहिए. कर्मियों ने कहा कि आंदोलन मांग पूरी होने तक बेमियादी जारी रहेगा.

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