10 लाख की मोटी तनख्वाह पर एक्सपर्ट को रख रहे साइबर क्रिमिनल्स, जानें कैसे आपके बैंक अकाउंट करते हैं खाली

jharkhand news: झारखंड के साइबर क्रिमिनल्स लाखों की सैलरी पर अपने गैंग में एक्सपर्ट को रख रहे हैं. इसी के सहारे चंद मिनटों में लोगों के बैंक अकाउंट को खाली कर देता है. दुमका पुलिस को ऐसे ही गिरोह के तीन साइबर क्रिमनल्स को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 7, 2022 4:04 PM
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Jharkhand Cyber Crime News: झारखंड में साइबर क्राइम की घटना हर दिन सुनने को मिल रही है. राज्य के साइबर क्रिमिनल्स काफी हाईटेक हैं. वहीं, मोटी तनख्वाह पर अपने गैंग में एक्सपर्ट को शामिल कर रहे हैं. ऐसा ही मामला दुमका में देखने को मिला. यहां के साइबर क्रिमिनल्स अपने गैंग के एक्सपर्ट को लाखों की मोटी तनख्वाह में रख कर लोगों से ठगी करवा रहे हैं.

ऐसे मामले का खुलासा दुमका के पर्यटन स्थल गुमरो पहाड़ से तीन साइबर क्रिमिनल्स के गिरफ्तार होने के बाद हुआ है. लोगों को ठगी करने में लगे इन साइबर क्रिमिनल्स में से पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिसमें दो देवघर जिले के और एक दुमका का रहनेवाला है.

डीएसपी मुख्यालय विजय कुमार ने बताया कि दुमका एसपी दुमका को गुप्त सूचना मिली थी कि गुमरो पहाड़ पर साइबर क्रिमनल्स इकट्ठा हुए हैं. इस सूचना के सत्यापन और कार्रवाई के लिए एसपी ने डीएसपी मुख्यालय व डीएसपी साइबर सेल शिवेंद्र के नेतृत्व में छापेमारी टीम का गठन किया. इस टीम ने गुमरो में लैपटॉप-मोबाइल लेकर डेरा डाल रखे तीन साइबर क्रिमिनल्स को धर दबोचा, जबकि करीब 5 साइबर क्रिमिनल्स भागने में कामयाब हुए. फरार साइबर क्रिमिनल्स की धर-पकड़ के लिए छापेमारी जारी है.

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लैपटॉप ऑपरेट करनेवाले को मिलता है 35 हजार रुपये रोजाना

इन साइबर क्रिमिनल्स द्वारा हर दिन कितने लोगों को ठगी का शिकार बनाते है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि साइबर क्रिमिनल्स अपने गैंग में एक्सपर्ट को लाखों की तनख्वाह में रखते हैं. बताया जाता है कि साइबर गैंग के सरगना अपने गिरोह में साइबर एक्सपर्ट को 10 हजार रुपये से लेकर 35 हजार रुपये हर दिन देता है. इस तरह से देखा जाये, तो इन साइबर एक्सपर्ट की कमायी हर महीने 10 लाख रुपये से अधिक की होती है.

बताया गया कि लैपटॉप ऑपरेट करने वाले शख्स को 35 हजार रुपये का मेहनताना रोज दिया जाता है, जबकि पुरुष और महिलाओं की आवाज में कस्टमर केयर के फर्जी नंबर पर फोन रिसिव करनेवाले को तथा झांसे में लेकर लोगों के मोबाइल को एनीडेस्क के जरिये कनेक्ट कर सारा फर्जीवाड़ा करने वाले को 15 हजार रुपये तथा एक अकाउंट में पैसा आते ही पलभर में राशि को उड़ाकर दूसरे खाते में डालनेवाले को 10 हजार रुपये का मेहनताना दिया जाता है.

इनकी हुई गिरफ्तारी

पुलिस ने जिन तीन साइबर क्रिमिनल्स की गिरफ्तारी की है उसमें देवघर जिले के मोहनपुर थाना स्थित आमगाछी रखिया के राकेश मंडल पिता ब्रह्मदेव मंडल और चकरमा के पंकज कुमार पिता भागवत मंडल हैं. इसके अलावा दुमका जिला के जामा स्थित अमलाचातर के मानिक चंद्र मंडल पिता गोपाल मंडल मुख्य है.

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लैपटॉप चलाने में एक्सपर्ट है राकेश

साइबर क्रिमिनल्स राकेश मंडल भले ही बहुत ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है. पर, वह लैपटॉप चलाने में बहुत एक्सपर्ट है. उसकी इसी विशेषता की वजह से लैपटॉप चलाने का काम इस धंधे के मास्टरमाइंड ने उसे सौंपा था. उसके पास से दो एंड्रायड फोन, नियो एक्स का विजा प्लेटिनम कार्ड, झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के रुपये डेविड कार्ड, EDFC के फर्स्ट बैंक का वीजा एटीएम कार्ड तथा काले रंग का लैपटॉप बरामद हुआ. वहीं, साइबर क्रिमिनल्स पंकज के पास से पेन ड्राइव, ओटीजी केबल, काले रंग की ओपो स्मार्ट फोन व ब्लू-काले रंग की स्मार्ट फोन मिला. इसके अलावा मानिक चंद्र मंडल के पास से 5 मोबाइल फोन बरामद हुआ है.

साइबर फ्रॉड से आये पैसे गायब करने में 5 सेकेंड भी नहीं लगते

डीएसपी साइबर सेल शिवेंद्र ने बताया साइबर क्रिमिनल राकेश मंडल ही कस्टमर केयर के तौर पर खुद को वेबसाइट पोर्टल में दर्ज कर देता है. ऐसे में जब कॉल कोई करता है, तो एटीएम ब्लॉक होने, लाइफ सर्टिफिकेट या E-KYC जमा नहीं होने की बात कहकर झांसे में लेने के लिए पंकज महिला की आवाज में बात करता है, जबकि मानिक पलक झपकते ही खाते में आये पैसे को दूसरे खातों में भेज देता है. इस काम में उसे मुश्किल से चार-पांच सेकेंड ही लगते हैं, ताकि कोई बैंक में अपने खाते से हुए ट्रांजेक्शन से भी पता लगाने की कोशिश करे, भी तो उसे लाभ नहीं मिले.

मनोज व चंदन मंडल जैसेे सरगना की हो रही तलाश

डीएसपी साइबर शिवेंद्र ने बताया कि इन साइबर क्रिमिनल्स का मनोज मंडल और चंदन मंडल सरगना बताया जा रहा है. इन सरगनाओं की पुलिस को तलाश है. डीएसपी साइबर ने बताया कि मनोज मंडल गोटीडीह का रहनेवाला है. वह राकेश मंडल का जीजा लगता है. उन्होंने बताया कि इन क्रिमिनल्स ने नेटवर्क में आ रही परेशानी को देखते हुए ही गुमरो पहाड़ जैसे जगह को चुना था. जहां नेटवर्क की समस्या भी दूर हो और उनके इस फ्रॉडिज्म के धंधे पर किसी को शक भी ना हो. यह इलाका दुमका का मसलिया व जामताड़ा के फतेहपु्र से भी सटा हुुआ है. इसका भी फायदा यहां से अपराधियों को मिलता था.

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टीम में शामिल थे ये पुलिस पदाधिकारी

साइबर क्रिमिनल्स पर कार्रवाई करनेवाली टीम में डीएसपी मुख्यालय विजय कुमार, डीएसपी साइबर सेल शिवेंद्र कुमार, मसलिया थाना प्रभारी ईश्वर दयाल मंडल, एसआई मिथुन किस्कू, गौतम कुार, दिलीप पाल, एएसआई अनिल कुमार, हवलदार सुनील सोरेन, नरेश मरांडी, महेंद्र किस्कू, रास्का मरांडी, आरक्षी तारणी सेन बाउरी, गंगा उरांव, शिव कुमार दास, अमित कुमार, अभिषेक कुमार व चालक नवीन सोरेन सोरेन शामिल थे.

Posted By: Samir Ranjan.

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