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विधानसभा में संताल से कमल थामने वाले इकलौते विधायक होंगे देवेंद्र कुंवर

जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से देवेंद्र कुंवर ने एक बार फिर अपनी जीत दर्ज की है. यह उनकी तीसरी जीत है, और वे 20 साल बाद विधानसभा की शोभा बढ़ाने जा रहे हैं.

आनंद जायसवाल, दुमका जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से देवेंद्र कुंवर ने एक बार फिर अपनी जीत दर्ज की है. यह उनकी तीसरी जीत है, और वे 20 साल बाद विधानसभा की शोभा बढ़ाने जा रहे हैं. देवेंद्र कुंवर ने पहली बार 1995 में झामुमो के टिकट पर जीत हासिल की थी. हालांकि, 2000 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा और इस निर्णय ने उनकी राजनीतिक किस्मत को भी चमका दिया. इस बार उन्होंने कांग्रेस के बादल पत्रलेख को 15,746 वोटों के बड़े अंतर से हराया. चुनाव के शुरुआती दौर से ही उन्होंने बढ़त बनाये रखी और हर राउंड में अपनी स्थिति मजबूत की. खास बात यह है कि वे संताल परगना से झारखंड विधानसभा में भाजपा का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र विधायक हैं. देवेंद्र कुंवर ने जरमुंडी क्षेत्र में दो बार भाजपा का कमल खिलाने का गौरव प्राप्त किया है. इससे पहले 1985 में अभयकांत प्रसाद ने यहां भाजपा का झंडा लहराया था, लेकिन वे दोबारा इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर सके. कुंवर ने अपने राजनीतिक सफर में झामुमो और भाजपा दोनों के टिकट पर जीत दर्ज की है. इस प्रकार, वे जरमुंडी से दो बार भाजपा को जीत दिलाने वाले पहले विधायक बन गये हैं. संताल परगना में झामुमो और राजद को दो-दो सीटों का लाभ संताल परगना क्षेत्र में झामुमो और राजद ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया. झामुमो ने राजमहल और सारठ सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी स्थिति और मजबूत की. इस बार झामुमो ने अपनी किसी भी सीट को गंवाया नहीं. वहीं, राजद ने भी इस क्षेत्र में दो सीटों पर चुनाव लड़ा और दोनों पर विजय प्राप्त की. देवघर (एससी) रिजर्व सीट पर राजद के सुरेश पासवान ने भाजपा के दो बार के विधायक नारायण दास को हराकर बड़ी जीत हासिल की. इसी तरह, गोड्डा सीट पर राजद के संजय प्रसाद यादव ने भाजपा के दो बार के विधायक अमित कुमार मंडल को हराते हुए विधानसभा की राह तय की. इस बार संताल परगना में झामुमो को कुल 11 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को पिछली बार की तरह चार सीटें ही हासिल हुईं. हालांकि, कांग्रेस को जरमुंडी सीट गंवानी पड़ी, जहां देवेंद्र कुंवर ने जीत दर्ज की. पिछली बार पोड़ैयाहाट सीट जेवीएम के प्रदीप यादव के खाते में गयी थी, जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गये. इस प्रकार, झामुमो और राजद ने संताल परगना में अपना वर्चस्व बनाये रखा है.

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