भगवान के नाम का भक्तिपूर्वक स्मरण ही कलियुग की सबसे बड़ी साधना : चतुरानंद
प्रखंड के कांजो में दुमका जिला संतमत सत्संग का दो दिवसीय जिला अधिवेशन रविवार को संपन्न हुआ
रामगढ़. प्रखंड के कांजो में दुमका जिला संतमत सत्संग का दो दिवसीय जिला अधिवेशन रविवार को संपन्न हुआ. दुमका जिले के 35वें जिला अधिवेशन में प्रवचन देते हुए संतमत सत्संग के प्रधान आचार्य बाबा चतुरानंद महाराज ने सत्संग प्रेमियों के बीच ज्ञान की अमृत वर्षा की. विभिन्न सत्रों में संबोधन के क्रम में उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति है. कलियुग में ईश्वर भक्ति से सहज ही प्राप्त हो जाते हैं. भगवान के नाम का भक्तिपूर्वक स्मरण ही कलियुग की सबसे बड़ी साधना है. ईश्वर प्राप्ति की साधना का मार्ग सच्चे गुरु के सानिध्य से ही प्राप्त हो सकता है. जिस तरह शिष्य को सच्चे गुरु की प्राप्ति की चाह होती है, ठीक वैसे ही गुरु भी सच्चे एवं योग्य शिष्य की तलाश में रहते हैं. योग्य शिष्य के प्राप्त होते ही गुरु उसे अपनी सारी सिद्धियां अनायास ही दे देते हैं. सत्संग अधिवेशन में माधवानंद बाबा ने संथाली भाषा में प्रवचन दिया. धीरे-धीरे संथाल समुदाय में भी महर्षि मेंही दास के संतमत सत्संग को मानने वालों की संख्या बढ़ रही है. जिला अधिवेशन में दुमका जिले के विभिन्न स्थानों से आने वाले सत्संग प्रेमियों ने स्वामी धैर्यानंद महाराज, स्वामी अरण्यानंद भिक्षु, स्वामी निरंजनानंद सहित संतमत सत्संग के विभिन्न आश्रमों से आने वाले साधु महात्माओं के हृदयग्राही प्रवचन का आनंद उठाया.
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