30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड : किसान आंदोलन में भटक कर दुमका आ गया था पंजाब का मूक-बधिर बालक, अब लौट रहा अपने घर

किसान आंदोलन के दौरान पंजाब का एक मूक-बधिर बच्चा भटक कर दुमका पहुंचा गया. सीडब्ल्यूसी ने बच्चे के परिजनों को खोज निकाला. इसके बाद एस्कोर्ट आर्डर जारी कर बच्चे को उसके घर मोगा भेजा गया. उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने उपहार देकर बच्चे को एस्कोर्ट टीम को सौंपा.

Jharkhand News: पंजाब के मोगा जिले का 10 वर्षीय बालक जो किसान आंदोलन के दौरान अपने पिता से भटक कर दिल्ली से दुमका पहुंच गया था, उसे बाल कल्याण समिति के प्रयास से वापस उसके घर भेज दिया गया है. जब से वह किशोर भटक कर यहां पहुंचा था, तब से पिता-पुत्र के बारे में उनके परिवार को कोई जानकारी नहीं थी. पिता से बिछड़ कर यह बालक किसी तरह से दुमका पहुंच गया था. मूक-बधिर होने के कारण बालक के घर और परिवार के बारे में जानकारी हासिल करना कठिन काम था, पर बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने अंततः इस बाल के परिवार को खोज निकाला.

एस्कोर्ट टीम को सौेंपा

गुरुवार को उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने इस बालक को उसके घर पंजाब पहुंचाने के लिए उपहार देकर उसे एस्कोर्ट टीम को सौंप दिया. इस मौके पर समिति के चेयरपर्सन अमरेंद्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय और कुमारी विजय लक्ष्मी एवं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र भी मौजूद थे.

Also Read: VIDEO: चंद्रयान-3 की सफलता पर एचईसी के इंजीनियर्स ने निकाली तिरंगा यात्रा

प्राइवेट बस स्टैंड के पास मिला था बालक

सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन अमरेंद्र कुमार ने बताया कि साल भर पहले सामाजिक कार्यकर्ता दशरथ महतो को प्राइवेट बस स्टैंड में कालिका होटल के पास यह 10 वर्षीय बालक मिला था. चाइल्ड लाइन के टीम मेंबर निक्कु कुमार ने इस बालक को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया था. बालक के मूक-बधिर होने के कारण न तो उसका बयान लिया जा सका और न ही किसी तरीके से वह अपने बारे में कुछ बता पाया. समिति ने बालक को सीएनसीपी घोषित करते हुए बालगृह में आवासित कर दिया था. समिति ने बालक केे परिजनों की खोजबीन करने के लिए उसी दिन उसका फोटो भी अखबारों में जारी किया और मिसिंग एंड फाउंड पोर्टल पर उसका फोटो सहित विवरण अपलोड करने का आदेश दिया पर उसके बारे में कुछ पता नहीं चल पाया.

आधार कार्ड से मिली जानकारी

बच्चे के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए विशेषज्ञ की भी सेवा ली गयी, पर यह प्रयास भी असफल रहा. आखिरकार समिति के आदेश पर बालक का आधार कार्ड बनाने के लिए आवेदन दिया गया. पहले से उसका आधार कार्ड बना होने के कारण आवेदन रिजेक्ट हो गया और उसके आधार का विवरण प्राप्त हो गया. आधार कार्ड में मिले बालक के पता के आधार पर पंजाब के मोगा के डीसीपीओ से एसआईआर मांगा गया. वहां के डीसीपीओ ने एसआईआर में बताया कि दिये गये पता पर बालक की नानी से मुलाकात हुई. नानी ने बताया कि बालक मूक-बधिर है. उसकी मां की मृत्यु हो चुकी है. पिता उसे लेकर किसान आंदोलन में दिल्ली गया था. उसके बाद से दोनों का कुछ पता नहीं चल रहा था.

Also Read: डुमरी उपचुनाव : बेबी देवी के लिए मंत्री हफीजुल हसन मांग रहे वोट, चलाया जनसंपर्क अभियान

डीडीसी ने की बाल कल्याण समित की प्रशंसा

बच्चे के बारे में नानी को जानकारी मिलने पर वो नाती को सकुशल वापस दिलाने की गुहार लगायी. समिति ने 20 जुलाई को ही एस्कोर्ट आर्डर जारी करते हुए बालक को उसके घर पहुंचाने का आदेश दिया था, पर इस आदेश का अनुपालन नहीं हा पाया. उप विकास आयुक्त अभिजीत सिन्हा ने इस बाल को उसके घर तक पहुंचाने के लिए राशि की स्वीकृति दी. 23 अगस्त को समिति ने एस्कोर्ट आर्डर को संशोधित करते हुए बालगृह के प्रभारी संजू कुमार और पीओ दिनेश पासवान को बालक को मोगा के बाल कल्याण समिति को सौंपने का आदेश जारी किया. गुरुवार को दोनों बालक को लेकर धनबाद रवाना हो गये जहां से वे ट्रेन से पंजाब के मोगा पहुंचेंगे. डीडीसी अभिजीत सिन्हा ने पंजाब के इस मूक-बधिर बालक को उसके परिवार में रिस्टोर करने के बाल कल्याण समिति के सतत प्रयास और सफलता की प्रशंसा की है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें