दुमका : शिकारीपाड़ा के गुप्त काशी के तौर पर राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व टेराकोटा शैली में निर्मित मंदिरों के समूह को संजोये रखनेवाले पर्यटन स्थल मलूटी तक आने-जाने के लिए एक अदद बस आज तक सरकार नहीं चला सकी है. इस वजह से पर्यटकों व ग्रामीणों को निजी वाहन से आना-जाना करना पड़ता है. मलूटी को टूरिस्ट सर्किट से जोड़ने की भी पहल नहीं हो पायी है. दुमका-रामपुरहाट मुख्य सड़क एनएच 114 ए पर स्थित लोरीपहाड़ी से मलूटी, आसनबनी हरिपुर सड़क पर स्थित बेनागड़िया से मलूटी, मलूटी से पश्चिम बंगाल के बोडोपहाड़ी व मलूटी से पश्चिम बंगाल के कस्टोगोड़ा सड़क चकाचक बनी है. लेकिन सड़कों पर सार्वजनिक वाहन नहीं चलते हैं. जिला मुख्यालय दुमका या निकटवर्ती रेलवे स्टेशन रामपुरहाट व पिनरगड़िया से मलूटी तक कोई बस सेवा उपलब्ध नहीं है. एनएच 114 ए दुमका-रामपुरहाट मुख्य सड़क पर लोरीपहाड़ी बस स्टाप से करीब पांच किमी दूरी के लिए कोई वाहन नहीं चलती. न बेनागड़िया से, न कस्टोगोड़ा और न बोडोपहाड़ी से ही कोई वाहन सेवा उपलब्ध है.
मलूटी पहुंचने वाले पर्यटकों के साथ साथ इलाके के ग्रामीणों को यह दूरी पैदल या निजी वाहन से तय करना पड़ता है. तारापीठ आनेवाले श्रद्धालु मां तारा की बड़ी बहन मानी जाने वाली मां मौलिक्षा के दर्शन पूजन की अभिलाषा रखने के बावजूद भी यातायात के साधन उपलब्ध नहीं रहने के कारण वापस लौट जाते हैं. मलूटी में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जब चौपाल के तहत रात्रि विश्राम किया था, तब टूरिस्ट सर्किट की बात कहते हुए तारापीठ, मलूटी, बासुकिनाथ व देवघर को कनेक्ट करनेवाली बस सेवा शुरू करने का आश्वासन दिया था. मलूटी पहुंचे पर्यटन सचिव ने भी मलूटी के लिए बस सेवा शुरु कराने का आश्वासन ग्रामीणों को दिया था. पर आज भी मलूटी बस सेवा वंचित है. दुमका-रामपुरहाट मुख्य सड़क पर स्थित लोरीपहाड़ी व सुडीचुआं से मलूटी तक के पांच किमी की दूरी तय करने में ग्रामीणों के साथ पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
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