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मयूराक्षी नदी पर बने पुल का नाम शिबू सोरेन सेतु करने का प्रस्ताव, बीजेपी नेता लुइस मरांडी ने जताया एतराज

आदिवासी महिलाओं को प्रसव के समय एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं हो पता था. तब की एनडीए सरकार ने विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल की थी. डॉ लोइस ने कहा कि सोरेन परिवार ने आदिवासी समुदाय को अनपढ़ और अशिक्षित रखकर वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है.

दुमका में मयूराक्षी नदी पर कुमड़ाबाद-मकरमपुर को जोड़नेवाली राज्य के सबसे लंबे नवनिर्मित पुल का नाम झामुमो सुप्रीमो दिसोम गुरु शिबू सोरेन सेतु रखे जाने के प्रस्ताव पर भाजपा ने कड़ा एतराज जताया है. भाजपा नेत्री व पूर्व मंत्री डा लोइस मरांडी ने कहा कि झामुमो-कांग्रेस की राजनीति का यह चरित्र परिवारवाद का एक और बड़ा उदाहरण है. कहा कि सरकार अगर सही मायने में आदिवासियों की हितैषी है तो इस पुल का नाम अमर शहीद तिलकामांझी रखे जाने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाए. डाॅ लोइस ने कहा कि इस पुल के निर्माण की आधारशिला मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में वर्ष 2018 में रखी गयी थी.


बीजेपी ने पुल निर्माण की स्वीकृति दी 

भाजपा की सरकार ने इस पुल के निर्माण की स्वीकृति देकर विकास से वंचित रहे उन सैकड़ों गांव जो मूलभूत आवश्यकताओं के लिए तरसते थे, उसकी बदहाली दूर करने के ध्येय से की थी. आदिवासी महिलाओं को प्रसव के समय एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं हो पता था. तब की एनडीए सरकार ने विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल की थी. आज इसका झूठा श्रेय हेमंत सरकार लेना चाहती है. डॉ लोइस ने कहा कि सोरेन परिवार ने आदिवासी समुदाय को अनपढ़ और अशिक्षित रखकर वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है. कहा पुल का नाम शिबू सोरेन रखकर आखिर सरकार क्या जताना चाहती है यह जनता को बताना चाहिए. कहा कि भाजपा शिबू सोरेन के नाम पर पुल का नामकरण करने का पुरजोर विरोध करती है.

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