Dumka Court: बीडीओ शिवाजी भगत को चार साल की सजा, 1.20 लाख रुपए जुर्माना, दुमका की अदालत ने सुनायी सजा

Dumka Court: दुमका के रानीश्वर प्रखंड के बीडीओ शिवाजी भगत को अदालत ने चार साल की सजा सुनायी है. इन पर एक लाख 20 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है. अदालत ने रिश्वत लेने का दोषी करार देते हुए सजा सुनायी है.

By Guru Swarup Mishra | July 26, 2024 7:52 PM

Dumka Court: दुमका, विक्रमादित्य पांडेय-दुमका जिले के रानीश्वर प्रखंड के बीडीओ शिवाजी भगत को अदालत ने चार साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही एक लाख 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. जुर्माना की राशि अदा नहीं करने पर 9 महीने अतिरिक्त सजा काटनी होगी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्हें सजा सुनायी गयी. 30 हजार रुपए रिश्वत लेने का दोषी पाते हुए दुमका की अदालत ने इन्हें सजा सुनायी है.

14 साल पुराने मामले में सुनायी गयी सजा

द्वितीय जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश सह निगरानी के विशेष न्यायाधीश प्रकाश झा की अदालत ने जांच प्रतिवेदन देने के एवज में तीस हजार रुपए रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े जाने के 14 साल पुराने एक मामले में बीडीओ शिवाजी भगत को सजा सुनायी है.

22 जुलाई को अदालत ने दिया था दोषी करार

जामताड़ा जिले के नाला प्रखंड के पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी सह अंचल अधिकारी शिवजी भगत को चार साल के सश्रम कारावास और एक लाख बीस हजार रुपए जुर्माना अदा करने की सजा सुनायी गयी है. दोष सिद्ध शिवाजी भगत वर्तमान में दुमका जिले के रानीश्वर प्रखंड में प्रखंड विकास पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित थे. न्यायालय ने पिछले 22 जुलाई को दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था.

2010 का है मामला

स्पेशल केस नम्बर 10/2010(निगरानी थाना कांड संख्या 10/2010) में सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद अदालत ने दोषी करार देते हुए सजा सुनायी. इस मामले में सरकार की ओर से लोक अभियोजक चंपा कुमारी और बचाव पक्ष की ओर से बहस सुनने के बाद न्यायालय ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जेल में बंद दोषसिद्ध बीडीओ शिवाजी भगत को सजा सुनायी.

30 हजार रुपए रिश्वत लेते किया गया था अरेस्ट

जामताड़ा जिले के नाला प्रखंड क्षेत्र के रहने वाले तारकनाथ मंडल की शिकायत पर निगरानी थाने में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत एक अप्रैल 2010 को नाला में पदस्थापित पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी सह अंचल अधिकारी शिवजी भगत के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. शिवाजी भगत पर सूचक से रिश्वत के रूप में तीस हजार रुपए की मांग कर परेशान करने का आरोप लगाया गया था. शिकायत पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जमीन विवाद में उसके पक्ष में जांच प्रतिवेदन देने के एवज में रिश्वत के तौर पर तीस हजार रुपए लेते शिवजी भगत को रंगेहाथ पकड़ लिया था.

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