परिवार की सुख-समृद्धि के लिए मां विपदतारिणी की धूमधाम से हुई पूजा-अर्चना
उपराजधानी में सुबह से ही मंदिरों में महिलाओं की भीड़ जुटी हुई थी
दुमका. उपराजधानी में मंगलवार को मां विपदतारिणी पूजा धूमधाम से मनायी गयी. सुबह से ही मंदिरों में महिलाओं की भीड़ जुटी हुई थी. महिलाओं ने मां विपदतारिणी का व्रत रखकर पूजा-अर्चना की. पूजा कर भक्तों ने परिवार में आने वाले हर संकट को टालने के लिए मां से प्रार्थना की. इस दौरान महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर विपदतारिणी पूजा की शुभकामनाएं भी दी. शहर के धर्मस्थान में पूजा को लेकर महिलाओं की देर शाम तक भीड़ रही. महिलाओं ने तेरह फल, तेरह प्रकार की मिठाइयां डलिया में सजाकर पूजा की. मसलिया प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में भी मां विपदतारिणी की पूजा अर्चना की गयी. दुर्गा मंदिर, काली मंदिर, गंधेश्वरी मंदिर, मंगलचंडी मंदिर, लक्ष्मी मंदिर आदि मंदिरों में मां विपदतारिणी की पूजा विधि विधान के साथ की गयी. रथयात्रा के पहली मंगलवार या शनिवार को मां विपदतारिणी की पूजा करने का विधान है. प्रखंड के मसलिया, तिलाबाद, दलाही, कुसुमघाटा, गोड़माला, हथियापाथर, गोलबंधा केन्द्रघाटा, सापचाला, ठाढ़ी, बेलगंजिया, निपेनिया, जरूवा खिलकनाली, गुमरो, परबाद, मोहलीडीह, रांगामेटिया, गूंधलिया, सिंगटूटा, बास्कीडीह, आस्ताजोरा, बड़ाताड़, बरमसिया, बसमत्ता, कुरुवा, करमाटांड़ सहित आदि गांवों में मां विपदतारिणी की पूजा नेमनिष्ठा के साथ संपन्न हुई. इसी तरह शिकारीपाड़ा प्रखंड के विभिन्न जगहों पर मां विपदतारिणी की पूजा अर्चना की गयी. सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में गणेशपुर, केशरगढ़, नवपहाड़, कुम्हारपाड़ा, सिरसा, जामूगुड़िया, रामगढ़ आदि गांवों की श्रद्धालु महिलाओं ने मां विपदतारिणी की पूजा अर्चना की. दूसरी ओर प्रखंड के गमरा, पर्वतपुर, ढाका, मोहलपहाड़ी, राजबांध, सरसाजोल, पाकदहा आदि जगहों पर मां विपदतारिणी की पूजा-अर्चना की गयी. इसी तरह जामा के महारो, जामा, बारापलासी आदि गांवों में तथा गोपीकांदर प्रखंड के गोपीकांदर, कुश्चिरा व खरौनी बाजार में मंगलवार को मां विपदतारणी की पूजा धूमधाम से की गयी. जरमुंडी प्रखंड के बासुकिनाथ समेत प्रखंड क्षेत्र के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में मंगलवार को विपदतारिणी पूजा धूमधाम के साथ मनायी गयी. श्रद्धा के साथ मां की पूजा करने से परिवार पर मां की कृपा बनी रहती है. महिलाओं ने पूजा स्थलों में जाकर भगवती विपदतारिणी माता की पूजा अर्चना कर पुरोहित से कथा सुनी और सुख-सौभाग्य का आशीष मांगा.
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