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169 वें हूल दिवस को लेकर शिकारीपाड़ा से संतालकाटा पोखर तक निकाली गयी पदयात्रा

पदयात्रा में शामिल हुए आदिवासी मूलवासी विकास मोर्चा के संरक्षक

रानीश्वर. 169 वें हूल दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार को समाजसेवी हाबिल मुर्मू के नेतृत्व में तथा आदिवासी मूलवासी विकास मोर्चा के संरक्षक डॉ भागमत मरांडी की उपस्थिति में शिकारीपाड़ा से सिदो-कान्हू चौक सालतोला मोड़ होते हुए संतालकाटा पोखर दिगुली तक पदयात्रा निकाली गयी. पदयात्रा शिकारीपाड़ा के सोगेलपाड़ा व सालतोला मोड़ स्थित सिदो-कान्हू चौक में वीर शहीदों के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गयी. मौके पर उपस्थित समाज के प्रबुद्ध जनों ने महान क्रांतिकारी 1855 के संताल विद्रोह की ऐतिहासिक घटनाक्रम की पृष्ठभूमि न्यायिक जनसंघर्ष, महत्वों, मूल्यों तथा विरासत के बारे में विस्तार से चर्चा की. पदयात्रा में शामिल लोगों ने सरकार के समक्ष मांग की कि 1855 के संताल विद्रोह को देश की आजादी का प्रथम विद्रोह का दर्जा दिया जाये. हूल के वीर गुमनाम शहीदों और घटनास्थलों को चिह्नित कर राजकीय सम्मान मिले. हूल के ऐतिहासिक तथ्यों को सभी वर्गों के पाठ्यक्रम में शामिल किये जाये तथा एसपीटी एक्ट उल्लंघन मामले में जमीनी जांच पड़ताल कर कानूनी कार्रवाई हो. पदयात्रा में शामिल सभी दिगुली स्थित संतालकाटा पोखर पहुंच कर वीर शहीदों को श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजलि दी. पदयात्रा में हाबिल मुर्मू, डॉ भागमत मरांडी, रमेश टुडू, लिखन मुर्मू, पतरास सोरेन, मोहन हेंब्रम, सुनील हेंब्रम, पुलिस टुडू, सुलेमान मुर्मू, मोहन हेंब्रम, उत्तम मरांडी, जोसेफ किस्कू, उकील टुडू, फादू हेंब्रम, मुरमील मरांडी, रुपलाल टुडू आदि मौजूद थे.

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