दुमका. सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय का आठवां दीक्षांत समारोह मंगलवार को दुमका के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हुआ, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार मौजूद थे. इस दीक्षांत समारोह में यूजी व पीजी के 63 टॉपर्स को गोल्ड मेडल सहित सहित 139 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गयी. इनमें 76 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी गयी. कुलाधिपति सह राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने अपने संबोधन में उपाधि प्राप्त करनेवाले छात्र-छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि भले ही उनके लिए यह दीक्षांत समारोह शैक्षणिक उपलब्धि का दिन हो, लेकिन आज से उनके जीवन के नये अध्याय की शुरूआत भी हो रही है. अपने ज्ञान, कौशल और शोध-अध्ययन के अनुभव से वे समाज और देश की उन्नति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें. किसी भी छात्र और शोधार्थी के लिए यह उपलब्धि उनकी व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि इस ज्ञान के माध्यम से अपने समाज को आगे ले जाने की जिम्मेदारी भी बनती है. उन्होंने युवाओं से कहा: ज्ञान व काैशल का उपयोग समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने और देश को नयी उंचाई तक ले जाने में अपना योगदान सुनिश्चित करें. राज्यपाल ने कहा : डिग्री प्राप्त करने के बाद आपके सामने कई चुनौतियां होंगी, उन चुनौतियों का दृढ़तापूर्वक सामना करें और आगे बढ़ें. आप सामाजिक न्याय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहित अन्य क्षेत्रों में अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग कर पूरे देश को आगे बढ़ाने का काम करें. उन्होंने कहा कि आप अपने शोध के माध्यम से भी समाज की जो समस्या है, उसका समाधान ढूंढें. संताल हूल के अमर नायक सिदो कान्हू के योगदान की चर्चा की एसकेएमयू के दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने अंग्रेजों के विरुद्ध महज तीर-धनुष से लड़ाई लड़ने वाले वीर शहीद सिदो और कान्हू मुर्मू और समाज के प्रति योगदान की चर्चा की. उन्होंने कहा कि जिस तरह विकट परिस्थिति में इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने हूल जैसे आंदोलन का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और अधिकारों के लिए खड़ा होना मानवता की जिम्मेदारी है. संताल हूल के नायक अमर शहीद सिदो-कान्हू ने भी यही किया था, देश में नहीं विदेशों में भी इनकी वीर गाथाओं की चर्चा होती है. आजादी के लिए इतने लोगों ने कुर्बानी दी, जिसकी कल्पना नहीं कर सकते. आज समाज के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भी यह आवश्यक है कि हर कोई अपने स्तर पर विकट परिस्थितियों से लड़े और देश को आगे ले जाने में अपनी भी भूमिका अदा करें. समारोह को विशिष्ट अतिथि के तौर पर केंद्रीय विवि झारखंड के कुलपति डॉ क्षितिभूषण दास ने भी संबोधित किया.
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