गुरु हमारे जीवन की दशा एवं दिशा दोनों को बदलते हैं : धनुर्धराचार्य
गुरु को हम मानते हैं लेकिन गुरु की बातों को मानते, इस कारण गुरु दुखी होते हैं
सरैयाहाट. प्रखंड के मानिकपुर बोकला गांव में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा का समापन सोमवार को हवन व पूर्णाहुति के साथ हो गया. अंतिम दिन कथा वाचक धनुर्धराचार्य जी महाराज ने वैदिक मंत्रोच्चारण से पूजन कराया. राजा परीक्षित की कथा को पूरी करके शुकदेव महाराज की विदाई कराकर प्रसंग को विराम दिया. आरती के पश्चात भंडारा करके प्रसाद वितरण किया गया. कथा व्यास ने सुदामा चरित्र एवं गुरु की महिमा की कथा का वर्णन करते हुए कि जीवन में गुरु का होना आवश्यक है. गुरु हमारे जीवन की दशा एवं दिशा दोनों को बदलते हैं. लेकिन हमें दुख इस बात का है कि हम गुरु को बहुत मानते हैं. पर गुरु की बातों को नहीं मानते. इस कारण हम दुखी होते हैं. गुरु मिलने से हमारा नया जन्म होता है. गुरु से मार्ग दर्शन एवं गुरु ही हमारे कष्टों को दूर करता है. उन्होंने कहा कि हम भले ही सुदामा हो लेकिन मित्र कृष्ण जैसा ही बनाना चाहिए. कथा व्यास धनुर्धरा चार्य जी महाराज ने आगे कहा कि जो व्यक्ति सच्चे मन से भागवत कथा का श्रवण करता है उसका संबंध कृष्ण से अपने आप ही जुड़ जाता है तथा कृष्ण की कृपा उन पर सदा बनी रहती है और उस व्यक्ति पर कलयुग भी अपना प्रभाव नहीं जमा पाता. कथा में कृष्ण भगवान की सोलह हजार एक सौ आठ विवाहों का वर्णन किया गया.