लक्खी पूजा आज, निझुरी में कीर्तन व बाऊल संगीत का कार्यक्रम
ग्रामीण खिरोद वरण घोष ने बताया कि यहां करीब डेढ़ सौ वर्षों से लक्खी पूजा हो रही
दुमका. जिले में लक्खी पूजा की तैयारी अंतिम चरण में है. शहर के विभिन्न मंदिरों में देर रात तक प्रतिमा को अंतिम रूप दे दिया जाएगा और बुधवार को अनुष्ठानपूर्वक पूजा की जायेगी. रानीश्वर प्रतिनिधि के मुताबिक निझुरी गांव भव्य लक्खी मंदिर में मां लक्खी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है. ग्रामीण खिरोद वरण घोष ने बताया कि यहां करीब डेढ़ सौ वर्षों से लक्खी पूजा हो रही है. पूजा के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष यहां धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. जानकारी के अनुसार इस बार भी कीर्तन व बाऊल संगीत आयोजित किया जाएगा. वहीं, मसलिया प्रखंड अंतर्गत केन्द्रघाटा गांव में दास परिवार द्वारा लक्खी पूजा 171 सालों से होती आ रही है. वही हथियापाथर गांव में चार पीढ़ी करीब 200 सालों से लक्खी पूजा होते आ रही है. दास परिवार के बुजुर्ग बीरेन्द्र दास का दावा है कि 1853 ई से पूजा की शुरुआत हुई थी. दास परिवार के आदि निवास स्थान बीरभूम जिला के पंडितपुर था. यहां पूजा बुधवार से शुरू होगी.जो तीन दिनों तक चलेगी. इधर हथियापाथर गांव में लक्खी पूजा सात दिनों तक किया जाता है. प्रारंभ में यह मंदिर मिट्टी व फूंस के छावनी वाला था,वर्तमान में मां लक्खी की भव्य मंदिर बनाया गया है. भव्य मंदिर में मां की प्रतिमा स्थापित कर सात दिनों तक धूमधाम के साथ पूजा अर्चना की जाती है. इस जगह पूजा की शुरुआत बनमाली मंडल के द्वारा की गयी थी. आज बनमाली मंडल के वंशजों के द्वारा पूजा को बरकरार रखा गया है. पूजा में कृति मंडल,उत्तम मंडल,निर्मल मंडल,महाबीर मंडल, काजल दास,बादल दास,जयंती दास,सोमनाथ दास सहित समस्त दास परिवार शामिल रहते हैं.
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