बासुकिनाथ. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा बुधवार को है. शरद पूर्णिमा को लेकर मंदिर को फूलों से सजाया गया है. पूर्णिमा पर संभावित भीड़ को लेकर मंदिर प्रभारी सह बीडीओ कुंदन भगत ने मंदिर कर्मियों को आवश्यक निर्देश दिया. इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा भी कहते हैं. यह रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. पंडित सुधाकर झा ने बताया कि पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं का होता है और इससे निकलने वाली किरणें अमृत समान मानी जाती है. शरद पूर्णिमा की रात्रि को दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है. मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में पड़ने से यह कई गुना गुणकारी और लाभकारी हो जाती है. इसे कोजागर व्रत माना गया है, साथ ही इसको कौमुदी व्रत भी कहते हैं. इस दिन दान, पुण्य, नदी व पवित्र तालाब में स्नान का अपना अलग महत्व है. पुलिस निरीक्षक श्यामानंद मंडल ने बताया कि पूर्णिमा को लेकर अतिरिक्त पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गयी है.
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