1,60,320 कांवरियों ने अरघा से भगवान भोलेनाथ का किया जलाभिषेक
मंदिर प्रांगण हर हर महादेव व बोल बम के जयकारे से गुंजायमान रहा शिव की नगरी
बासुकिनाथ. राजकीय श्रावणी मेला महोत्सव 2024, सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि चौथे सोमवारी पर बाबा फौजदारीनाथ के दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. मंदिर प्रांगण हर हर महादेव व बोल बम के जयकारे से गुंजायमान रहा शिव की नगरी. 1.17 बजे रात मंदिर का पट खुला. शिवलिंग का दूध, जल से अभिषेक किया गया. गर्भगृह में शिवलिंग को पुष्प, बेल पत्र, आंक, धतूरे से सजाकर महाआरती की गयी. इस दौरान मंदिरों में घंटी, घडियाल, शंख व झालर के बीच भोलेनाथ के उद्घोष से माहौल भक्तिमय बना रहा. सरकारी पूजा के बाद मंदिर गर्भगृह में अरघा में जलार्पण का सिलसिला शुरू हुआ देर शाम तक चलते रहा. मंदिर गर्भगृह गेट पर लगाये गये अरघा में जल डालने का सिलसिला शुरू हुआ जो अबतक चल रहा है. मंदिर प्रांगण, शिवगंगा घाट वह मेला परिसर कांवरियों से पटा रहा. मंदिर प्रबंधन के अनुसार 1,60,320 कांवरियों ने बाबा फौजदारी नाथ के अरघा में जल डालकर मंगलकामना की. मंदिर परिसर बाबा के जयकारे से गूंजता रहा. सोमवारी की संभावित भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने पहले से व्यापक व्यवस्था कर रखी थी. महिला श्रद्धालुओं ने भी कतारबद्ध होकर बाबा पर जलार्पण किया. मंदिर प्रांगण में अधिकारियों ने कांवरियों की कतार को सुचारु रुप से मंदिर में प्रवेश कराया. भगवान शिव की विधिवत उपासना करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. कांवरियों की श्रद्धा भक्ति व आस्था देखते ही बन रही थी. सावन की चौथी सोमवारी को कांवरियों की कतार संस्कार मंडप, फलाहारी धर्मशाला, क्यू कॉम्पलेक्स तक जा पहुंची. कांवरियों की कतार को व्यवस्थित रखने के लिए पुलिस की व्यवस्था बनी हुई थी. कांवरिया शेड में कतारबद्ध कांवरियों को पानी पिलाने के लिए स्वयंसेवी संस्था के कई शिवभक्त लगे हुए थे. एसडीओ कौशल किशोर, चंद्रजीत सिंह, गौतम कुमार, एसडीपीओ संतोष कुमार, मंदिर प्रभारी सह सीओ आशुतोष ओझा, बीडीओ कुंदन भगत मंदिर में बेहतर जलार्पण व्यवस्था को लेकर लगे रहे. वहीं मंदिर प्रबंधन के अनुसार 14 हजार 379 महिला पुरूष कांवरियों ने आठ जलार्पण काउंटर पर जल डाला. शिवभक्तों ने टीवी स्क्रीन पर भगवान भोलेनाथ का दर्शन कर यहां जलार्पण किया. पाइप द्वारा यह गंगाजल सीधे गर्भगृह में शिवलिंग पर गिरता है. श्रद्धालु इसे इंटरनेट जलार्पण भी कहते हैं.
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